भारत का रक्षा - संगठन | Bharat Ka Raksha Sangathan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
397
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दर भारत का रक्षा-मंगठन
पर पूति, परिवहन, आपुधसामद्री ( आईनेंस ), और सेन्य निर्माण-कार्य की जिम्मेदारी थी ।
बह सेन्य-वित्त बनाने के लिए भी उत्तरदायी था ।
संन्य-विभाग की भूमिका
उस समय का मैन्य-विभाग अपने अधिक्ार-क्षेत्र में मौलिक काम तो करता ही था,
साथ ही सेना-मुरयालय या चारो मेना-तमानो से सीये ही आने वाले सभी प्रस्तावों की स्वतम
जाँच भी बरता था । फलत अपने समक्ष आने वाने और उसके द्वारा सूवपात किये जाते वाले
सभी प्रम्तावी के लिए वह अपने कागज-पन्न रखता था, जिसमे विभाग में छपेक्ित मात्रा में
सातत्य बना रहे । विभाग में तीन प्रभाग थे, अर्यातू सैन्य, प्रशासन और वित्त । बरित्तश्रभाग
महानसाकार, सेन्प-विभाग के अधीन था, जो सभी सेन्य और नौसंनिक मामलों मे भारत
सरकार का वित्तीय सलाहकार था । दूसरे शब्दों में वित्त-प्रमाग मैन्य-विभाग का हो एक अंग
था । नीचे लिखे आरेख में सारा ढोचा स्पप्ट हो जाता है 1
आरेख-ै
सपरिपद गवर्नर-जनरल
[यश
सेना सदस्य, सेना के प्रधासनिक कार्य के कमाडर-इने-चीफ, वमान और
लिए गिम्मेवार, भारत सरकार का कार्यपालक बाय के लिए जिम्मेवार
प्रत्िनियित्व बरने वाले और उसके
आदेश जारी करने वाले
का एडजुटेंद . बवार्टर मारटर. प्रधान चिकित्सा
मेन्य विभाग का सचिव जनरल जनरल अधिकारों
नर व
भारत वे... सम्भरण बौर सेन्य निर्माण वित्त के
आइंनेंस वे. परिवहन के. बायों के उपसचिव
महानिदेशक मटानिदेशक महानिदेशक ऊ
उस समय अपनायी जाने वालो कार्यविधि यह थी कि सेता-कमानों या. मेना-मुख्यालय
मे घतो वाने महत्वपूर्ण मैन्य-मुवार या व्यय को अन्तप्रेस्त करने वाले सभी प्रस्ताव सैन्य-तेसा-
निपस्त्रर वे जरिए सेन्य-विमाग को भेज दिये जाते थे । फिर मैन्य-विमाग में इनकी वित्तीय
बौर प्रशासनित्र, दोनो हो दृप्टियों से जाँच की जाती थी । जो श्रस्ताय सेना-मदस्प द्वारा अनु-
मोदित हो जाता था, उसे वित्त विमाग को भेज दिया जाता था और अगर दित्त-विमाग भो
मान लेता था तो उस मामते को अनुमोदन के लिए गवर्नर जनरल वे पास भेज दिया जाता
€ इस पद को बाद ( १६२१) में इजीनियर-इन-चीफ नाम दिया गया !
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