समीक्षा शास्त्र | Samiksha Shastra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय श्द रिएन्स ) : झलौकिक ( सुपरनेचुरल ) : शान्वविश्वास (सुपरस्टिशन) : मनोवैज्ञानिकॉंका सत : अ्रचेतन (झन्कोन्शस) | मनोविश्लेषण ( साइको-ऐनेलिसिस ) : फ्रौोयडफा मत : ऐडलरका सिद्धान्त : यूज़्का मत : स्वप्न (ड्रीम ) : बाह्य शूज्जुला (श्रौग्जेक्टिव कौरिलेटिव) : वातावरण (एन्वायरनमेन्ट या मील्यू ) : नारी : मानसिक विकार ( डीजेनेरेशन ) काव्यके दो रूप होते हैं--झ्नायास श्रोर सायास : प्रतिभा : वामनका सिद्धान्त । मइ-सोपालकी परिभाषा : राजशेखरका मत : प्रतिभा; शाख््रश्ान और अभ्यास : अवधघानका महत्त्व : शक्ति : व्युत्पत्तिसे श्रेष्ठ प्रतिभा : व्युत्पत्तिकी श्रेष्ठता : प्रतिभा : दो प्रकारके कविं : काव्य-संस्कार : समाधि : अभ्यास श्र समाधि : कारयित्री प्रतिभा : मावयित्री प्रतिभा : कवि श्र भावक : व्युत्पत्तिका विवेचन : बाह्य प्रेरणा : शक्ति, निपुणुता श्रौर श्रम्यास' : प्रतिभाका दार्शनिक रूप 2 साहित्यकी प्रेरणा -शक्तियोंकां विश्लेषण : स्वाधिष्टित अनुकरण ४ प्रतिक्रिया ४ सात्विक प्रेरणा-शक्ति : प्रेरणा-शर्क्ति और रचना-शक्ति : पर-प्रेरित प्रेरेणा-शक्ति : विशेष्नॉर्थ-प्रेरित प्रेरणा-शक्ति 2 प्रेरणा-शक्ति शोर कल्पना । ११. साित्यके विषय आर प्रयोजन मानव-जगत्‌ : मानव-प्रकृति : श्ररस्तूका मत ४ उच्च आर अपराधी प्रकृति : नीति और नीति 2 कुल-परम्परा और सज्ञतिका संस्कार : झभ्यास, आचरण श्रोर इच्छा- , शक्ति : स्थिर चित्तवाले श्रौर अस्थिर चित्तवाले : कल्पनाशील आर संस्कारशील : नाव्यशास््र और माव-प्रकाशन १ सब मतोंकी चुटियाँ : पुरुष श्रौर ख्री. : पुरुष-श्रेणी-विमाजन : स्ियोंके भेद : मंतुष्य, पशु-पन्नी तथा लड़ पदार्थ $ जड़ पदार्थ भी पात्र हैं ४ नियमका झपवाद 2 जड़ पाचन 2 सामव- . चरित्र $ तीन प्रकारके मानव १ चार रज्ञके सानव £: शरीर भेदसे चार प्रकारके मानव £ तीन प्रकारकी झ.कुनियाँ : सरोग और नीरोग £ स्वमावपर सड्तिका प्रभाव : प्राक्तन जन्म- संस्कार : अच्छे और बुरे स्वभाव : स्वमावपर अवस्थाका. . प्रभाव : पुरुष श्रौर स्त्रीकी प्रकृतिमें भेद : मानवकी तीन खुएए १६.




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