इंसान पैदा हुआ ? | Insaan Paida Hua ?

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Insaan Paida Huwa by रांगेय राघव - Rangeya Raghav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इंसांन हट « के फर्राते पर इधर से श्राकर उधर निकल जाती थी | ब्ाइर श्राकाश के कंधों पर खूनी रंग का कपड़ा भललक रहा था जैसे ब्रहुत दूर एक लाल भंडा है, जो दुनिया की छोर पर खड़ा होकर श्राकाश श्रौर पृथ्वी दोनों को घुनौती दे रहा है। दिलोप मुस्कुराया । उस सननाटे में जिंदगी पनाइ' मांग रही है, जैसे आसमान नहीं; दमें सिर पर एक साया. चाहिये, जद श्रासमान में खुद खुदा ही क्यों न हो । गाड़ी रुक गई । दिलीप स्टेशन पर उतर कर घूमने लगा । तीसरे दर्जे में भयानक भीड़ थी ही, एक दूसरी भीड़ ठेलमठेल कर रही थी । दिलीप देखता रहा । * ' काश, दिलीप की जगदद मौत के घाट उतारी गई मेरी एन्तोनित होती तो सोचती बैसे बेत्टील के दर्वाजों पर प्रजा लददरों की तरह टकरा रही ही, मगर सम्राट की कप! है कि उन्हें रदम की सज़ा दी गई है कि भटकों । लैंकिन दिलीप को लगा जैसे कुत्ते पकड़ने की गाड़ी देखकर कुत्ते गिर- फतार दोने स्वयं टूट रहे हों श्रौर श्रंदर वाले दमतोड़ कर उन पर भू 'क रहे हों कि मरने का श्रधिकार हमीं को है, हर्मी को है। पतले टुबले एक चढ़े मुसलमान ने तढ़फ कर कहा ४ श्राया हिन्दू, मुसलमान का बच्चा 1 '. श्रौर बद्द बगल के डिब्बों में दा-दो एक-एक बैठे हैं तेरे बाप हैं । उनपर जाकर कानून चलाये तो देखें? फिर जोर से कददा : “आने दे वे उन्हें ! बेचारे दरवाजा नद्दी खुला । उसका खुलना झसम्भव था, क्योंकि उसके सामान जो इंसान की बतौरी का एक साँप सा है, जिसपर कं. ई १ दाथ रखे तो इंसान भी साँप की तरद जदर उगलता है। लोग खिड़- .. कियों में से भीतर कूदने लगे, जैसे दोजस़ में घुसने की कोई राद चाहिये। 4... दिलॉप श्रपने डिब्बे में लौट श्राया। तीसरे दर्ज के डंडे पकड़े कुछ हू जोंग सबक गये थे। मौलाना कह रहे थे--“अबे दूसरा दर्जा है. ..दक जायेगी । श्रठगुने दाम देने की हैसियत है तेरी. . .यदद गद्दें. जा




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