मेहंदी के फूल | Mehandi Ke Phool
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about यादवेन्द्र शर्मा ' चन्द्र ' - Yadvendra Sharma 'Chandra'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खेंल-खिलौने
पाँच बर्षे वाद मैं अपने 'देश' जा रहा हूं । मेरा देश बीकानेर है भर मैं
परदेश कलकत्ता में रह रहा हूँ ।
गाड़ी भाग रही थी । कलकत्ता छूटते ही मुझे सबसे पहले छिननू का
नाम याद भाता है ।
छिन्नू के नाम के साथ मेरे मस्तिष्क में कई स्मृतियाँ एक-साथ जागृत
हो जाती हैं। ये स्मृतियाँ आकाश के तारो की तरह कई आकारों में होती
हैं--फूलों की तरह रंग-बिरंगी होती हैं; मुस्कान-सी मघूर भर भाँसू-सी
खारी होती हैं; जीवन के सफर की तरह बहुत लम्बी और मोहल्ले की
गली की तरह बहुत ही तंग होती हैं । ये स्मृतियाँ हमारे जीवन की बहुत
बड़ी सम्बल होती हैं। दोष के रूप में ये ही स्मृतियाँ रह जाती हैं ।
ऐसी ही एक लम्बी स्मूति--छिन्नू की स्मृति, बचपन के दिनों की ।
सुबह का समय था । छोटे-छोटे मेघ-खण्डो की चीर-चीरकर पर्व की
ओर लालिमा छितरा रह्दी थी। उस छितराती हुई लालिमा में उड़ता
हुआ पत्नेरु बहुत अच्छा लग रहा था । समीप के महादेव जी के मन्दिर से
घण्टा-ध्वनि आ रही थी 1 मेरी गली मे टूटता हुआ सन्नाटा था। कभी-
कभी घड़ों से पानी लाने वाली पनिह्ारिनों की पायल की रमक-कमक
सुनाई पड जाती थी ।
छिन्नू पानी ला रही थी । उसका बाप जीतू किसी बनिये के यहाँ
रसोइया था भर वैष्णव धर्म को मानता था । धर्म के मामले में उसकी
कट्टरता बड़ी मदाहूर थी । छिन्नू के पैदा होने के तीन वर्ष बाद ही जीतू
“की पत्नी का देहास्त हो गया था । एक बडी बहन थी जिसका विवाह ही
गया था । एक छोटा भाई था जिसका पालन-पोपण ननिहाल में हो रहा
प्था।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...