अलका | Alakaa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
227
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ अअलका
में ताले लगा दें; दो; कुंजियों का गुच्छा ले श्राओ: ताले
कहाँ हैं; क्या किया जाय बेटी; इस वक्त दुनिया पर
यही झ्ाफ़त है; फिर तुम्हारी मा को गंगाजी पहुँचाने का
बंदोबस्त करें । '
माता का नाम सुनकर; स्वप्न देखकर जगी-सी होश में
आ सृत माता पर उसी की एक छोटी: क्षीण लता-सी लिपट
गई । अब तक सहानुभूति दिखलानेवाला कोई नहीं था;
इसलिये तमाम प्रवाह आँसुझों के वाध्पाकार हृदय में टुकड़े-
टुकड़े फेले हुए एकत्र हो रहे थे । स्नेह के शीतल समीर से
एकाएक गलकर सहख्र-सहख्र उच्छूवासों से अजख्र वषी करने
लगे । महादेव स्वयं जाकर प्यारेलाल तथा उसकी ख्त्री को
बुला लाया । ज़्मींदार के डेरे का नौकर गाड़ी साजकर ले
चला । कुछ ओर लोग भी; इस महा विपत्ति में सहानुभूति
दिखलाना धम है; ऐसा धार्मिक विचार कर); झाए । शोभा
को माता से हटा; कोठरियों में सबके सामने ताले लगाकर
प्यारेलाल ने कुंजी महादेव को दे दी। प्यारेलाल की ख्त्र
शोभा को अपने साथ ले गई । उसके घर का कुल सामान
एक पुर्ज में लिरूकर डेरे भिजवा महादेव उसकी मा की लाश
गंगाजी ले गया । तमाम रास्ता यही निणुंय रहा कि शोभा को
किसी तरह मुरलीधर के हवाले कर पॉँच-छः हजार की रक़म
अपने दाथ लगाए। लोटकर शोभा की खुश-खबरी मालिक
कसनमने के लिये सदर गया । शोभा से कह गया; उसकी
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