शिक्षा में नवीन प्रयोग | Shiksha Men Navin Prayog
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
56
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामखेलावन चौधरी - Ramkhelavan Chaudhary
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १६
अंग साना जाना चाइिए । प्रो० आमस्टॉंग का हृष्टिकोश भिक्ष है
प्रकृति के निरीक्षण से ही विज्ञान का जन्म हुआ है । उन्होंने अपने एक
भापण में कद्दा था--'“जब “तक प्राकृतिक शक्तियों पर सनुष्य ने विजय
नहीं पायी थी, प्रकृति की अवहेलना की जा सकती थी ।””””'आज वह
कौत नहीं रही है । प्रकृति के ब्रांगण में होनेबाले संघष ( 307प8816
के सिद्धांत से हमें बहुतछुछ सीखना है । यदि आज के सामाजिक
संघप में हमें घिजयी होना है, तो हमें प्रकृति से शिक्षा लेनी चाहिए ।
दूसरे, नयी-नयी खोजों से मनुष्य की ज्ञान-पिपासा बढ़तों जा रही है
परन्तु दुछठ॒लोगों को ही उसे शांत करने की सुविधा प्राप्त है । प्रकृति-
संबंधी ज्ञान हर एक को सुलभ होना चाहिए ।” इसके अतिरिक्त मनुष्य
की वर्तमान सभ्यता का मूल आधार बह शक्ति ( फा080 ) है
जिंसें उसने प्रकृति से प्राप्त किया है । जल, वायु, माप, बिजली, पेटाल
अर परमार] आदि शक्तियाँ प्रकृति के गभ में छिपी पड़ी थीं । मनुष्य _
ने प्रकृति का अध्ययन करके ही, इन्हें प्राप्त किया है । प्रकृति शक्तियों
का अनंत भंडार है, उसका ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है । अतः बालकों
में घ्रकृति-प्यवेच्ण की अभिरुचि हर प्रकार से उत्पन्न करना, शिक्षा.
को पुनीत कतेंव्य हैं ।
(घ) मनोवैज्ञानिक पुष्ठ-मूमि--बालको की समस्त स्वाभाविक
प्रबत्तियों का उपयोग करना, स्वयंत्ान-विधि का मूल उद्देश्य है ।
'जिजासा', :क्रल्पना , 'क्रिया' 'विचारशक्ति , 'भाव” आदि मानसिक
शक्तियों को उत्तेजन प्राप्त कराने में इस विधि द्वारा सहायता सिलती
है। “स्वयं करके सीखना” ही शिक्षण का मुख्य आधार होना चाहिए
और वही इस विधि का आधार है । प्रोफेसर आर्मस्टांग ने सभी ज्ञात
मनोवैज्ञानिक तत्वों का अपनी विधि में समावेश किया है ।
(ड) आयु का अइन--'स्वयं ज्ञान-विधि' से पढ़ने का अभ्यास
। बचपन से ही कराना उपयोगी है। इसका. कारण यह हैं: किं' यदि
User Reviews
No Reviews | Add Yours...