सोहागबिन्दी तथा अन्य नाटक | Sohagabindi Tatha Any Natak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साहागबिन्दी
बाबू--ग्राई तो श्राख़िर। श्राज सिफ॑ सवा घटे लेट हैं ।
हम यहीं हैं । देखो, श्रगर कोई उतरे तो टिकट यही
मॉग लाना । कौन जाय । [बाबू फिर छुर्सी पर बैठ-
कर हुक्का सेँभालते है । महदराज हरी और लाल दो
मडियाँ लेकर बाहर जाता है । बाहर गाड़ी का शब्द
और साथ ही गाड़ी छूटने की सीटी ।.
[महदराज एक अजनबी के साथ भीतर घुसता है !
अजनबी करीब २५ ब्ष॑ का सुन्दर युवा है और अच्छे
कपडे पहने है। देखने से कालेज का विद्यार्थी जान
पडता है । खाकी निकर, ऊनी होज, कनवास का जूता,
कालरदार बनियाइन और नीला ब्लेजर पहने हैं। श्राधु-
निक फैशन के लम्बी कलमवाले बाल कटे है। हाथ मे
एक चमडे का सेंकोला सूटकेस है ।]
झगन्तुक--मेने कहा, काली मैया को झ्ादाब श्रर्ज है |
[कहकर सुसकुराता हुआ एक श्र खडा रह
जाता है। काली बाबू की तन्मयता भग होती है
और ऊपर सिर उठाते ही पहचानकर बडे तपाक से
मिलते हैं]
काली बाबू--श्ररे विनाद ! झोफ श्रोह--मला इतने
दिन बाद ठुमने खबर तो ली !
द्
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