श्री परमात्ममार्ग दर्शक | Shri Paramatmamarg Darshak
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
250
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डे
गया करता का सैल्िक-
जीकत वुक्ताल््त
..... सरुदेश में मेड़ता एक दाहर है । उस में सेठ कस्तूरचन्द जी
कॉसटिया रहते थे, आप ओसवाल कुछ में उत्पन्न हुए थे । आप श्वेताम्बर
मूर्ति पूजक थे। व्यापाराथ आप सालव आंत के “ आसटे ” नामक शहर
में निवास करने लगे । अकस्मात् सेठ जी स्वर्ग के सहमान: चन गये ।
आपके जेष्ठ पुत्र एवं लघु पुत्र भी आपके अनुगामी बने । सध्यम पृत्र-
चथू भी स्वर्ग सिधनारी ।
इस प्रकार काल की विकराल गति का अवलोकन करके सेठ जी
की धर्म पत्नी जबरां बाई को वैराग्य उत्पन्न होगया । दो पुत्रों का मोह
छोड़ कर १८ वर्ष पर्यत स्थानक बासी जेन धर्म की साध्वी दीक्षा
पालकर स्वस्थ हुई । न
इस प्रकार स्त्रकीय छुडम्वियों के वियीग जस्य व्यथा से व्यथित
होकर सेठ साहब के द्वितीय पत्र केवलचन्द जी भोपाल शहर में आकर
रहने ठगे । तथा परंपरागत मान्यता के अनुसार पंचग्रतिक्रमण, सवस्मर-
णादि कण्ठस्थ करके जिन प्रतिमा पूजन-निरत रहने लगे ।
समय के अनुसार मनुष्य के जीवन में परिवर्तन होता रहता है ।
उस समय कुंवर ऋषि जी म० का भोपाल में आगमन हुआ । आप
निरंतर एकांतर उपयास करते थे । एक चदर से रहते तभा स्वल्प
संभापण करते थे ।
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