द्वन्दयुद्ध | Dwand Yuddh

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Dwand  Yudh by एंटेन चेखव

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एंटन चेखव - Anton Chekhov

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राजनाथ - Rajnath

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इन्द युद्ध थ कप पद | +++ सामोलेन्को घुर्राया यदद न जानते हुए कि क्या जवाव दिया जय | बह तुमसे प्यार करती है ? हाँ वदद सुर्क इतना प्यार करती हैं जितना कि उसकी अवस्था और स्त्रभाव वाली खी किसी भी श्वादमी से प्यार कर सकती हे । उसके लिए मुर्क छोड़ना उतना दी मुश्किज्त है जितना कि पते पाउदर था बाल घुघरालें करने वाले कागजों को त्यागना । मैं उसके निजी कमरे के लिए झत्यधिक छावश्यक और मदत्वपूर्ण हूँ । सामोलेंन्झो परेशान दो उठा । थाज तुम्द्दारा पारा चढ़ा हुछा है बान्पा उसने कहां # तुम्हारी राते बहुत बुरी बीती द्ोगी । हा मुके ठीक तरद नींद नहीं थाई थी । ध्ाज मैं थापने को बुरी सरह से छस्वस्थ श्नुभव कर रदा हूं भाई । मेरा दिमाग खाली सा दो गया है हृदय ब ठा जा रहदा है कमजोरी मददसूस हो री है। मुके भाग दी जाना चाहिए । कहाँ भाग जाना चाहिए १??? उधर उत्तर की तरफ । वहाँ जहां चीद के दस और कदर मुत्ते होते हैं जहाँ झादमी रहते हैं ौर स्तच्छन्द विचार हैं । कर श्रव मैं मास्को य। तूज़ा के सूदों में बहने धाले किसी छोटे से मारने में नहाने के लिए श्पना थाधा जीवन न्प्रौछावर कर सकता हूँ इससे मुझे ढंड का छानुभव द्ोगा और फिर कमजोर से कमजोर विधार्थी के साथ तीन घन्टे तक घूमना भ्ौर लगातार बिना रुफे बातें करना पसन्द करूँगा। ..छौर सूखी घास की वह सुगन्वि तुम्हें इसकी याद है शोर शाम को जब कोई बाग में धूमता होता हे तो घर से छाता हु पियानों का स्वर दवा में तेरता रहता है गुजरती हुई रेख की झावाज सुनाई देती है ।




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