सर्वोदय अर्थशास्त्र | Sarvoday Arthashastra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
370
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सर्वोदय अर थंशास्त्र की पुकार श्पू
खजाने हैं, पर तालीम का ऐसा असर है कि जब तक हमारे सामने 'ीजग्रर्थ-
शात्त्र कह कर नहीं आये, हम उसे समभने से इन्कार करते हैं । महात्मा गाँधी
मे इस झथंशास्त्र को आ्रपने जीवन में उतारा पर उसे कितात्री जामा न उन्होंने
पहनाया, न उनका वह काम था । लेक्नि उनके सामने से ही देश के कुछ
विद्वानों ने यह काम आपने ऊपर उठा लिया था, उन सब में खास नाम
डाक्टर जो० का कुमारप्पा का है | गॉधीवादी या स्वोद्य अर्थशास्त्र का नाम
रच पढ़े-लिखे लोग भी जान गये हैं, इसका श्रेय कुमारप्पाजी को ही है । पर
इनका दायरा ज्यादातर अग्रेजी पाठक तक सीमित रहा है | धीरे-धीरे द्पने देश
की मापाश्रो में भी इस तरह का साहित्य तेयार होने लगा है , जैसे शुजराती से
श्री नरहुरि भाई ,परीख की “मानव श्रथशाल्र” नाम की किताब! हिन्दी से अब
तक यह कमी बनी हुई थी, सो इस तरफ श्री भगवानदास केलाजी ने पहला
कदम उठाया | हिन्दी-सतार उन्हें बखूबी जानता है । राजनीति श्रौर श्रर्थशाल्र
संम्बन्वी उनकी किताबें करीब दो पीढ़ी से विद्यार्थी भाई-बहन पढ़ते था रहे हैं ।
श्र हिन्दी में सच्चे या स्वोदय श्रथशास्सत्र के साहित्य-मवन की बुनियाद की
पहली ईंट भी उन्होंने ही रखी ।
'तर्वोदय श्रर्थशात्र” का यह दूसरा संत्कस्ण है। चार साल के अन्दर
पहला सस्करण खत्म हो गया | इससे पता चलता है कि धीरे-धीरे यह विचार
घर बनाता जा रहा है । वैसे भी इन चार बरसों में भूदान यज ने जो प्रगति की
है, उससे देश के श्रन्दर एक विश्वास पैदा हुग्रा है कि महात्मा गाँधी जो वातें
कहते थे, सत विनोबा जो श्राज कह रहे हैं, वे खयाली पुलाव नहीं है, बस्कि
असली श्रौर सच्ची बातें हैं । लगभग पॉच लाख दाताशओं द्वारा चयालीस लाल
एकड़ से ऊपर जमीन का मिलना श्र फिर करीब बारह सी गाँवों का आमदान
ऐसी जबरदस्त घटनाएँ हैं जिनकी गूज वहरों के कान तक भी पहुँच रही हे ।
सवोंदय व्यवहार क्षेत्र में उतर ्राया है ! श्रगर उसका साक्तात दर्शन करना
है तो उडीसा के कोरापुर जिले में मिलेगा, जहाँ आमदानी क्षेत्र में नये सिरे से
समाज-रचना हो रही है । यह प्रयोग नवयुवको को श्रावाहन कर रहा है कि
अपने देश को खड़ा करने में कघा लगावे, घुजुर्गों को, और विशेषकर
जो पुराने श्रर्थशात्र में पतने-ब्रढे हैं उनको, दावत देता हे कि इसकी जॉच करे
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