हर्षवर्द्धन | Harshavarddhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारत की राजनीतिक श्रवस्था (५०-१२ इ० ) छुठी शताब्दी के मध्यकाल से ले कर सातवीं शताब्दी के प्रारंभ तक--जब कि मद्दाराल इप्रचद्धन से उत्तरी भारत के एक बड़े भाग पर श्रपनी प्रभुता स्थापित की--- भारत के राजनीतिक इतिहास का न्यूनाधिक पूर्ण विवरण हमें उपलब्ध है। इस अध्याय मं यह बताने का प्रयन्न किया. जायगा कि छठी शताब्दी में शुप्त साम्नाज्य के पतन के पश्चात्‌ से ले कर दृप के साम्राज्य के दृद्-निर्माण तक भारत की राजनीतिक अवस्था केसी थी । इस सिलसिले में हम उन श्रनेक राज्यों की राजनीतिक अवस्था का भी उल्लेख करेंगे जो हृष के समय में बतंमान थे । महाराज इष॑वरद्धन के शासन-काल का समुचित अध्ययन हम इसी प्रकार प्रारंभ कर सकते हैं । हमें संक्षेप में इस बात का भी उल्लेख करना होगा कि गुस-साम्राज्य के पतन के पूर्व देश की राजनीतिक श्रवस्था कैसी थी.। ”.. ... डॉक्टर विंसेंट स्मिथ का कथन है कि “छठी शताब्दी के उत्तराद्ध॑ में भारत के इतिहास के संबंध में हमारा शान अल्प है । यद निश्चय है कि उस समय कोई सार्व भोमिक राजा नहीं था श्रीर गंगा के मैदान में स्थित सभी राज्यों को हों तथा उन से संबंध रखनेवाली श्रन्य जातियों की लूटपाट से बहुत क्षति उठानी पड़ी थी । किंतु कतिपय स्थानीय वंशतालिकाश्रों में, नाम-संग्रइ के अतिरिक्त श्रन्य शातव्य बातों का उल्लेख नहीं किया गया है ।”” डा० र्मिथ के इतिहास के लिखे जाने के पश्चात्‌ , इस सूत्र में जो. झनुसंधान किए गए हैं उन के परिणाम-स्वरूप, उन का यह उपरोक्त कथन शब सत्य नहीं . :ठद्रता | सललमयाम्यपताानगापकानवा 4 बननदककेनपकेटडडकिकिनकलन '.. कर १गझी हिस्ट्री थाफ़ इंडिया”, प्रष्ठ ३४१




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