अंड बंड भाग - 1 | And Band Bhag - 1

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And Band Bhag - 1 by नारायण महादेव - Narayan Mahadev

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १८ ) की भी पूजा करते रहे होंगे । पर जब उनके सामने कई हिंदू देवता श्रां गये तो उन्होंने उनमें से कुछ तो मान लिये पर वे डीह ब॒ उसके साथ के दक दो दूसरे देवता. मानने तंयार नहीं हुये । यह बात नहीं थी कि कोई भी झ्ाये इनको मानना नहीं चाहता था । कुछ लोग चाहते थे परे अधिकांश ने नहीं माना और वे यहां तक डीह के विरुद्ध हो गये कि देव शब्द का अर्थ राक्षस कर दिया व यह अर्थ फारसी में श्राज तक है । इस श्रर्थ के होने का कारण यह नहीं है कि आर्यों की दो शाखाओं में--एक जी हिंद में आई व एक जी... इरान को गई-कोई कगड़ा इत्ा था । इसका कारण यह है कि आर्य व अनारयों में झगड़ा होता रहा इसी तरह यह कहना भी गलत है कि आ्रार्यों की वह शाखा जो. . इंरान को गई घर बसाकर रहती थी व दूसरी शाखा जो हिंद को आई घूमती फिरती थी व लूटमार करती थी । पारसी धर्म ग्रंथ में जो लूटमार करने वालों का निद्श है वह आरयों की शाखा का नहीं है । वह उन लोगों का है जिनका देश आर्यों ने जबरन छीन लिया था | वे लूटमार न करते तो क्या करते ? वेस्ता में एक शब्द वेंदीदाद श्राया है । वह बें-दी-दाद है। वें. याने विरुद्ध दी याने देव दाद याने दिया हुआ । इस शब्द में जो दी दे वह बुन्देलखंडी ड्ीट्ठ डी ही है। यहां पर डी का देव नहीं .. हुआ | अवेस्ता भाषा में ड अक्षर न होने से दी हो गया है । उस समय का इतिहास व भाषा विज्ञान समकने के लिये बेंदीदाद के . दी शब्द का मूल्य अनकुनीय है | देवासुर संग्राम का देवासुर शब्द कैसे बन गया ? शब्द सुरासुर होना था । अगर अर शब्द का अर्थ रास था तो सुर शब्द इसके... पहिले ही बना होना चाहिये । फिर सुरासुर शब्द के प्रयोग करने में




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