अंड बंड भाग - 1 | And Band Bhag - 1

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And Band Bhag - 1 by नारायण महादेव - Narayan Mahadev

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( श्ट ) की भी पूजा करते रहै होगे ] पर जब उनके सामने कई हिंदू देवता श्रा गये तो उन्दने उनमें से ङ तो मान लिये पर वे डीह ब॒ उसके साथ के षक दो दूसरे देवता मानने तेयार नहीं हुये । यह बात नहीं थी कि कोई भी आये इनको मानना नहीं चाहता था । कुछ लोग चाहते थे परे अधिकांश ने नहीं माना और वे यहां तक डीह के विरुद्ध हो गये कि देव शब्द का अर्थ राक्षस कर दिया व यह अर्थ फारसी में श्राज तक है । इस श्रर्थ के होने का कारण यह नहीं है कि आर्यों की दो शाखाओं में--एक जी हिंद में आई व एक जी... ईरान को गई-कोईं भगडा हमरा था । इसका कारण यह है कि आर्या व अनार्यो मे फगड़ा होता रहा इसी तरह यह कहना भी गलत है कि आर्यो की वह शाखा जो ईरान को गई घर बसाकर रहती थी व दूसरी शाखा जो हिंद को आई घूमतौ फिरती थी व लूटमार करती थी । पारसी घमं प्र॑थ में जो लूटमार करने वालों का निदशं है दह आर्यो की शाखा का नहीं है । बह उन लोगों का है जिनका देश आर्यो ने जबरन दधीन लिया था | वे लूटमारनकरतेतो क्या करते ? छवेस्ता में एक शब्द वेदीद्‌ाद श्राया है ] वह्‌ बें-दी-दाद है। वें. याने विरुद्ध दी याने देव दाद याने दिया हुआ । इस श्ब्दमेंजो दीह वह बुन्देलखंडी ड्ीट्ठ डी ही है। यहां पर डी का देव नहीं .. हुआ | अवेस्ता भाषा में ड अक्षर न होने से दी हो गया है । उस समय का इतिहास व भाषा विज्ञान समकने के लिये बेंदीदाद के . दी शब्द का मूल्य अनकुनीय है | देवासुर संग्राम का देवासुर शब्द्‌ कैसे बन गया ? शब्द सुरासुर ` होना था । अगर अर शब्द का अर्थ राक्षस था तो सुर शब्द इसके ` पहिले ही बना होना चाहिये । फिर सुरासुर शब्द के प्रयोग करने में `




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