स्यादवाद ज्ञान गंगा | Syadvad Gyan Ganga

Syadvad Gyan Ganga by ज्ञानसागर जी महाराज - gyansagar ji maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इस चौमासमे महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान उत्तर प्रदेग आदि प्रातोके लोगोने धार्मिक भावनासे प्रेरित होकर यहाँ भक्ति आनदमे सराबोर हुए उन सबका में हार्दिक ऋणी हूँ । ऐसे ही अनेक धर्म-कमं मेरे हाथोसे भविष्यम होनेके सुअवसर मुझे मिलते रहे और भा विमलसागरजी आ देशभूषणजी, आ निर्मल सागरजी आदिके आशीर्वादसे अनेक धर्मं-कार्योकी प्रेरणा मुझे मिलती रहे यह ही मेरी उत्कट इच्छा हैं। वैसेही उपाध्याय भरतसागरजी मुनिसंघके क्षुल्लक तथा माताजी इनके भी आशिपष मुझे हमेशा मिलते रहे ऐशी महावीर भगवानके चरणोमे प्राथ॑ना । परमपूज्य आचार्येश्री जीकी ६५ वी जयतीके शुभावसरपर मुझे सपारिवार शरीक होने का सौभाग्य मिला इसमे मे खुदका भाग्योदय समजता हूँ । आचार्यश्री विमलसागरजी दीर्घायु होने और धर्म-प्रभावना करके जेन धर्म की कीति बढाते रहे इसके अलावा क्या मॉाँगू भगवान महावीरसे ? मुझे चाहिए केवल उनका आर्शीवाद, और प्रेरणा ।




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