ऋग्वेद के बनानेवाले ऋषि | Rigweda Ke Bananewale Rishi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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रुणः ससरज्यात् विद्वान अदब्घः विमुमोक्त
पाशान ।
अथ- शुन:दपने जो पकड़ा हुआ था ओर तीन खम्भोंसे बांधा
हुवा था इस प्रकार आदित्य देवताका आह्वा नन किया कि बुद्धिमान
प्रकाशमान दीप्रिमान वरुण उसके वेघन खोल देवे ।
कुमार कऋषिने ऋग्वदक मंडल ५ के सूक्त २ की ऋचा
७ में झुनः शेपका नाम इस प्रकार वणन किया हे ।
झुनः झोपम् चित निटितम् सहख्रात्
यूपात् अमुज्नः अद्यमिष्ट हिसः ।
अध-तूृन झुन: ठाप को उसकी प्राथनापर छुड़ाया जो हजार
चेंघनीस चंचा हुवा था |
हिरण्यस्तूप १ ( दे१-रेए ))
ऋग्वेद भाष्यमें दयानन्दने प्रथम मंदलके मक्त २१ से
३५ तक का ऋषि “आह्िरसो हिरण्यस्तूपः” अर्थात् अड्टिरा
के बट वहरण्यस्तूपका 1लखा नघष पमथम मडलक मक्त
३१ की ऋचा १ में अधांत अपनी बनाई सबसे पहली
ऋचामें अड्रिराकी स्तुति करता हे ।
त्वमस नयमा आउइडरा कऋ्तष ।
अथ-हं आग्न त पहल अगिरा कऋषियी |
कण्व .१ ( रे६--9रे )
ऋग्वेद भाष्यमें दयानन्दने प्रथम मंदलके मृक्त ३६ से
9३ तक का ऋषि घोर: काण्व:” या “घोर पुत्र: कण्बः''
[लिखा हैं यह ऋषि अपन बनाय सूक्ताम इस प्रकार अपना
नाम लता है ।
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