ब्रहमचर्य की शक्ति | Brahmacharya Ki Shakti

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Brahmacharya Ki Shakti by swami ramteerth

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इस प्रकार की अवस्था का अंग्रेजी के प्रख्यात कवि ने इस तरह वर्णन किया है-- १५४ &8घाटएछंछ 15 85 घा६ इ्िलाछुए 0 60 8८८86 एप 9८271 15 फृपा ट -एधाणएफ800 -गमेरी शक्ति दस मनुष्यों की शक्ति के समान है क्योकि मेरा हृदय पवित्र है । --टेनीसन ब्रह्मच्ये के बल पर अद्भुत कार्य करने वाले सानव हनुमान इसलिए सबसे बड़ा वीर था क्योंकि वह जती-सती था 1 कहते हैं कि मेघनाद भारी योद्धा था । उसे वही मनुष्य सार सकता था जिसके मन में बारह चर्ष तक कोई अपचित्र भाव नही आया हो । ऐसा श्री लक्ष्मण था । जितेन्द्रियता के कारण ही सीष्स वा नास गमीष्म प्रसिद्ध हुआ । सर आइजक स्यूटन जैसा तत्व का अन्वेषक जिस पर इंग्लैण्ड को इतना गर्व है सत्तासी वर्ष तक जीता रहा । मृत्यु-समय में वह पुरी तरह होश में था कारण--वह जितेन्द्रिय था पवित्र विचारों का था । जिस तत्त्वज्ञ ने विश्व के तत्त्वज्ञान सें परि- चर्तेत ला दिया बहु कौन था ? बहू काट टिघए था । यह बड़ा यती-सती था । इसके हृदय में कभी भी अपवित्न भावना नहीं आई थी । असरीका के हेनरी डेविड थोरो तथा जमेंनी के विख्यात तत्वज्ञ हुबंटे स्पेंसर--दोनों सहान्‌ जितेन्द्रिय थे । इस समय अमरीका इग्लेण्ड जापान प्रभ्नति देश तरक्की कर रहे है। इसका कारण क्या है ? कारण यही है कि इन देशो के गृहस्थ भी आपके देश के जितेन्द्रियो की अपेक्षा पवित्न है । पहले तो उनके १. बन्वेषक--खोजी । २. तत्त्वज्ञ--तत्त्ववे्ता ज्ञानवान्‌ 1




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