नैतिक जीवन | Naitik Jeevan

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Naitik Jeevan by चन्द्रराज भंडारी विशारद - Chandraraj Bhandari Visharad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नातक ज्ञोवन (ि <न्टहक- हमारा प्राचीन नेतिक जीवन | ना 2 ट डर जब हमारे पूचज श्राय्ये लोग शुरू शुरू में भारतवर्ष |... के झन्दुर श्राये, जब उन्होंने श्रपनी समाज की भा रचना करना प्रारस्भ किया, उस समय उन लोगों के ध्यान में समाजशाख्र के श्रनेक छुदम तत्वों के साथ साथ एक यह भी तत्व श्राया कि, बिना व्यक्तियों के जीवन में नेतिकता का समावेश हुए समाज में चिरथायी शान्ति स्थिर नहीं रह सकती । उन लोगों ने श्रपने विराट मस्तिष्क के द्वारा तत्काल ही यह निप्कष।निकाला कि, जब तक प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में सामाजिक कतब्यों की ज़िम्मेदारी के भावों का समाधेश नहीं हो जाता, जब तक हर एक व्यक्ति सामा- जिक खाथों के साथ व्यक्तिगत सार्थों का मेल नहीं कर लेता, तबतक समाज के श्रन्द्र होनेवाली झनिष्रकारक घटनाश्रो का अन्त नहीं हो सकता । वे लोग मनोविज्ञान के इस सूदम तत्व




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