विविध आचार्यों द्वारा व्यंजना - रक्षार्थ प्रयुक्त युक्तियों का आलोचनात्मक अध्ययन | Vividh Acharyon Dwara Vyanjana - Raksharth Prayukt Yuktiyon Ka Aalochanatmak Adhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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3 'मन्य प्रस्थानों मैं सक्षणा का अस्तित्व सिद्ध हो. जाने पर काव्यशास्त्र में लक्षणा का जो स्वस्प है. उसे यहाँ पर प्रम्तुत किया जा रहा हू न सक्षणा शब्द लक्ष घात - शुच प्रत्यय - फिलियां ठाप करने पर बनता हैं | वाशिघ्ठ ध्वनिवाबी जाचार्य अमध्विवशप्त के पनुसार * -. मुख्व्यार्थ ब्राधावि सकारथियों की समपैक्षा से अर्थ की प्रतोति करानें वाली शक्ति सक्षणा हैं. -... *.. प॒स्यार्थ बाधाबिसडकार्यपैक्षा ... प्रतति्तासनशॉक्तिलक्षणा शक्ति । से मध्विनिवगप्त से पहले यवि . हम पलकार-शास्त्र में लक्षणा को स्््धाति बैख़ना चाहें ता वहां पी सक्षणा के स्पष्ट संकेत मिलते हैं. । प्बम्यट में कक के प्रसंग में ग़णवुत्ति का उल्लेख किया हैं. । “ पाचार्य वाम्न ताँ काक्ति को साटृश्यसम्बन्घस्पा सक्षणा हीं मानते है. । माचार्य मम्पट मे काव्य-प्रकाश मप्ें सलक्षणा का सिस्पण इस प्रकार किया हैँ - १ . मुस्प्यार्थ्नाथ तथोंगे रूदितोडथ प्रयोननात 'मन्योडर्थों सक्ष्यते यत सा सक्षणारोपिता क्रिया *.. से 4. -.... लक्षणाशब्वश्च लक्षघातोरचिप्रत्यये स्खियाटापि सिद्धयति-न्यायकश ८ पु. 99 2... ध्व८ लौचन, प्र. 3. पृ 9६8 ऊ ...... शब्वनामधिधानमणिधा व्यापारों स॒ख्वय्यों ग़णवात्तिश्च । काव्यालकारस्ारस्ह्म >.. अ. जज. था, साइश्याल्लन्षणा वजाक्ति: | हर है न स था सदर भर व ला सका नी से स्ि 5. काव्य प्रकाश. - डिंतीय उल्लास -.. पृद व




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