आचार्य राजशेखरकृत "काव्यमीमांसा" का आलोचनात्मक अध्ययन | Aachaarya Rajshekhar krit Kaavya Meemansha Ka Alochnatmak Adhyayan

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Aachaarya Rajshekhar krit Kaavya Meemansha Ka Alochnatmak Adhyayan by ज्ञान देवी श्रीवास्तव - Gyan Devi Shrvastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[9] (4) उनके पुत्र देवपाल ^.0. 948.1 इस प्रकार विभिन्न शिलालेखों के आधार पर महेन्द्रपाल का समय 890 ई० से 910 ई० तक स्थिर किया गया है । अन्तः साक्ष्य भी आचार्य राजशेखर को गुर्जरप्रतिहारवंशी महेन्द्रपाल का गुरू सिद्ध करते हे । आचार्य राजशेखर ने सबसे पहले 900 ई० के आस पास ' कर्पूरमञ्जरी ' सटुक कौ रचना कौ । इसका प्रस्तावना में उन्होने स्वयं को महेन्द्रपाल अथवा निर्भयराज का गुरू बताया है 2 कर्पूरमञ्जरी का चण्ड या चन्द्रपाल सम्भवतः महेनद्रपाल ही है । कर्पूरमञ्जरी के बाद आचार्य राजशेखर ने बालरामायण' कौ रचना कौ ओर तत्पश्चात्‌ ' बालभारत' कौ । इन नाटकं के नाम का बाल शब्द इनको कवि के काव्यरचना काल की प्रारम्भिक रचना नहीं सिद्ध करता क्योकि बालरामायण' मेँ राजशेखर ने अपने लिए ' कविवृषा शब्द का प्रयोग किया है 8 ' बालरामांयण' नामक नारक रघुकुलतिलक महेन्द्रपालदेव कौ सभा के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। इस नाटक में महेन्द्रपाल की सुस्थिर राज्यलक्ष्मी का वर्णन 1. 1169111011715 51111114 ८० ए {16 11185 ग {6 0५ 509৬6181019 01121100325. 01 ९211/81610]8 01 [६8111184 85 18561160 {0 ७5 0५9 {116 91/800111 11561017 10 &ा ५८1) 1081 (0/1) 08165, 17128 1616 06 17810928150 6017 1778 [€ 8046175 007५8118106 101 201417201168 ॥५168, 171; 1--8110|8 ^... 862, 876 210 882. 2--1/811611018[0818 छा 0199५ [५8161418 01 1/81115110818 5.0. 903 10 907; ?७ए०॥ ० (186 [206 08|5116141181. 37115 5017 (८5110818 01121110515, 01 11912117109109812 /.0, 91771728001 01 99151191191. 47711155017 6५202128 ‰.~3. 948. +7915191612915 16911001172171211172151791617515 119 28866 - 177 (७, (010५४, ८.४. | 2111181) 2 “बालकई कइराओ णिव्मअराअस्स तह उवज्ञाओ '' (कर्पुरमञ्जरी 1--५) 3 निखिलं ऽस्मिन्‌ कविवृपा'' (*बालरामायण ' प्रथम अङ्क -श्लोक 11)




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