सर्वोदय अर्थशास्त्र | Sarvodaya Arthashastra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
360
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सर्वोदय अर्थशास्त्र की पुकार श्ण्रू
खजाने हैं, पर तालीम का ऐसा असर हे कि जब तक हमारे सामने चीजश्यर्थ-
शास्त्र कह कर नहीं आये, हम उसे समभने से इन्कार करते हैं । महात्मा गॉघी
मे इस झर्थशास्त्र को श्रपने जीवन में उतारा पर उसे किताबी जामा न उन्होंने
पहनाया, न उनका चह काम था | लेक्नि उनके सामने से ही देश के कुछ
विद्वानों ने यह काम शपने ऊपर उठा लिया था, उन सब में खास नाम
डाक्टर जो० का० कुमारप्पा का है । गाँबीवादी या सर्वोद्य अर्थशास्त्र का नाम
रच पढ़े लिखे लोग भी जान गये हैं, इसका श्रेय कुमारप्पाजी को ही है | पर
इनका दायरा ज्यादातर श्रश्रेजी पाठक तक सीमित रहा है | धीरे-धीरे श्रपने देश
की भाषाओं में भी इस तरह का साहित्य तैयार होने लगा है , जैसे शुजराती में
श्री नरहरि भाई परीख की “मानव अर्थशास्र” नाम की किताव | हिंन्दी से झव
तक यह कमी बनी हुई थी, सो इस तरफ श्री भगवानदास केलाजी से पहला
कदम उठाया । हिन्दी-ससार उन्हें बखूबी जानता है। राजनीति श्र ्रर्वशास्त्र
सम्बन्धी उनकी किताबें करीब दो पीढ़ी से विंदा्थी भाई-बहन पढ़ते रा रहे हैं।
दब हिंन्दी में सच्चे या सर्वोद्य श्रर्यशास्स्त्र के साहित्य-भवन की बुनियाद की
पहली ईट भी उन्होंने ही रखी |
प्सर्वोध्य श्रर्थशाल्न' का यह दूसरा सस्कर्ण है। चार साल के अन्दर
पहला सस्करण खत्म हो गया । इससे पता नलता है कि धीरे-घीरे यह विचार
घर बनाता जा रहा है | वैसे भी इन चार बरसों मे भूटान यन्न ने जो प्रगति की
है, उससे देश के श्रन्द्र एक विश्वास पैदा हुया है कि महात्मा गॉवी जो वाते
कहते थे, सत विनोत्रा जो आज कह रहे हैं, वे खयाली पुलाव नहीं हैं, चल्कि
असली श्र सच्ची बाते हैं । लगमय पाँच लाख दाताशओओं द्वारा वचयालीस लाख
एकड़ से ऊपर जमीन का मिलना श्र फिर करीब बारह सी गाँवों का श्रामदान
ऐसी जवरदस्त घटनाएँ: है जिनकी गूंज वहरों के कान तक भी पहुँच रही है ।
सर्वोदय व्यवहार क्षेत्र मे उतर श्राया है ! श्रगर उसका साक्षात दर्शन करना
है तो उड़ीसा के कोरापुर जिले में मिलेगा, जहाँ ग्रामदानी क्षेत्र मे नये सिरे से
समाज-स्वना हो रही है । यह प्रयोग नवयुवको को शावाहन कर रहा है कि
अपने देश को खड़ा करने में कधा लगावे, बुजुर्गों को, श्र विशेषकर
जो पुराने श्रर्यशाल्र में पले-बढे हैं उनको, दावत देता हे कि इसकी जाँच करे
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