वर्तमान शिक्षा | Vartman Shiksha
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
91
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रद चतेमान दि
ग्रतीत हुई । ख़ियोंके लिये विद्यालय, स्कूल ओर कालेजोंकी
स्थापना हुई, ख्री-शिक्षाका भी वही आदर्श माना गया जो पुरुषोंके
छिये था, क्योंकि दृष्टिकोण ही ऐसा था | उच्च शिक्षा होनी चाहिये,
और उच्च शिक्षाका अर्थ ही है कालेजोंकी शिक्षा, बी० ए०
उएप० ए० की डिग्री प्राप्त करना; वकालत या डाक्टरी पास करना 1
खियाँ भी इसी पथपर चढों और चल ही रही हैं । वे भी
पढ़-लिखकर अध्यापक, मास्टर, छके, वकील, बैरिस्टिर, लेखिका,
नेता; म्युनिसिपिटी या कौंसिलोंकी मेम्बर बन रही हैं | यह
उन्नतिका खरूप है । चारों ओर इस उन्नतिके छिये उल्छास प्रकट
किया जा रहा है और यह उन्नति प्रणरूपसे हो जाय इसके छिये
अधथक चेश हो रही है । ऐसी खी-शिक्षा देनेवाले स्कूल-कालेजोंकी
और विद्यार्थिनियोंकी संख्या दिनोंदिन वढ़ रही है । शिक्षाके साथ-
साथ शिक्षाकें अवइयम्भावी फलरूप उपयुक्त दोप ख़ियोंमें भी आ रहे
हैं। वे भी ईश्वर और घ्मका विरोध करने छगी हैं | सरठ्ता, कोमढता
श्रद्धा, संकोच, प्राचीनतासे प्रेम आदि खाभात्रिक गु्णोंकि कारण यद्यपि
पुरुषोंकी तर ईश्वर और घमका खुला और आ्पन्तिक विरोध करने-
वाछी लियाँ अमी नहीं पैदा हुई हैं, परंतु सूत्रपात हो चढ़ा हैं |
संयमका अमाव भी बढ़ रहा है । पुषुषोंकी अपेश्वा स्रमावसे ही ख्री
कई बातोंमें अधिक संयमी होती है, इससे उसकी इघर प्रगति यर्थाप
रुक-रुककर होती है, परंतु उसका देखा-देखी करनेका स्रभात्रद्वोप
उसे असंयमकी ओर खींचे छिये जाता है, इसीसे आज शिक्षित ल़ियेंमिं
-असंयमकी मात्रा बढ़ रही है । निस वातको मनमें छानेमें भी खभावसे
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