छाया में | Chhaya Men
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
245
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शअधविष्वास या”* श्१
सम्बन्धित दै, श्राज तक यह नहीं सोचा था | यह सब जान लेने का अवसर
भी कभी नहीं मिला । भले श्रादमी बेकार का भगड़ा कब मोल लिया करते हैं।
एकाएक गाड़ी ने क्षीण-स्वर में सीटी दी । सब चौंक उठे । लगा कि जो
सोचकर तय किया, वह झ्रकास्य ही है । एक दूसरे के चेहरे की ओर देखने
लग गये | दर एक वेयक्तिक-रूप में आपने को समभने लगा । बाहर सांय-सांय
हवा बह रही थी । सब संभल गये । गाड़ो रुक गयी । चारों ओर घना
जंगल था । बाददर सिगनल का रंग लाल था । लेकिन गाड़ी फिर चल पड़ी |
हरएक श्रपने में श्रपने बीते जीवन की यादगारें टटोलने लगा । दुःख में
सबदा सही बातें याद श्राती हैं ।
न जाने किसने पहले-पदल झपने दिल का ताला तोड़, भावुकता में श्रपने
जीवन पर लागू होने वाली घटनाओं का बखान शुरू किया । वह जो बूढ़ा
किनारे पर था, उसके श्रागे-पीछे कोई नहीं । श्राज निपट श्रकेला है । उसकी
मोत पर, उसका श्रपना कोई भी झफसोस करने वाला नहीं । वह भी णहस्थ
था । उसके बीबी-बच्चे थे । एक साल की प्लेग में सब सफाई हो गयी । तब
से वह फकीर बना तीथयात्रा किया करता है |
उसके पास बैठे व्यक्ति ने समभाया, “यह बेकार बात है। द्ोनद्ार
कभी टला है ! उस भविष्य को कोन पकड़ पाया !”'
कि सामने बैठे वकील साहब ने बात शुरू कर दी, “श्वाप लोग शायद
यह नहीं जानते कि मुझे हृदय रोग है, डाक्टरों का कथन है कि कभी हृदय
की गति सक सकती है । श्रब सोचता हूँ उसने ठोक कहा था । कभी कहीं
भी मोत श्रा जायगी । मेरा दिल मिचला रहा है । सांस को गति तेज
मददयूस होती है | मेरा तो विष्वास है, मेंरी मृत्यु निकट आरा गयी । मैं श्रपनी
बसीयत श्रौर कागजात वगैरह ठीक करके वकील के पास सौंप श्राया हूँ । श्राप
लोग बेकार कुछ न सोचें । मुकने ही मरना दे । यह झूठ नहीं होगा । मनहूस
घड़ी मुऋ पर ठल जायगी |”?
तभी एक विद्यार्थी कह बैठा, “शाप गलत कह रहे हैं । मुक्ते तो जीने
का जरा भी उत्साह नहीं है । न जाने किन-किन उम्मेदों के साथ एम० ए.०
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