प्राचीन जैन इतिहास भाग - 3 | Prachin Jain Itihas Bhag - 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
145
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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१२५० मनःपयेय ज्ञानी
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१००००० श्रावक
००००० श्राविकाएं
(१२) गायुऋे एक मास दोष रहने तक मापने सारे गाय
खैडमें विहार किया और बिना इच्छाके दिव्यध्वनि द्वारा धर्मों देश
देकर प्राणियोंका हित किया ।
(१३) जब गायु एक मास बाकी रद गईं तत्र दिव्यध्वनिका
होना बन्द हुआ जौर सम्मेद शिखर पवतपर इस एक माइमें रोष
क्मोका नाश कर एक दनार मुनियों सहित बेसाख बदी १४ को
मोक्ष पघरे । इन्द्रांने मोकषइल्पाणक उत्सव मनाया | दे
पाठ २३
जयसेन चक्रवर्ती ।
( ग्यारदवें 'थक्रथरती )
(१) मगवाबू नमिनाथके समयमें ग्यारदवें चक्रवर्ती अमसेन'
हुए । वे कौशांबी नगरीके इदेवाकुबंशी राजा विजब और रानी
प्रभाकरीके पुत्र थे ।
(२) इनकी जायु तीन हजार बषेकी जौर झरीर भाठ हाथ
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