हजरत मुहम्मद और इसलाम | Hajarat Muhammad Aur Isalam

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Hajarat Muhammad Aur Isalam  by सुन्दरलाल - Sundarlal

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भारत के स्वाधीनता आंदोलन के अनेक पक्ष थे। हिंसा और अहिंसा के  साथ कुछ लोग देश तथा विदेश में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जन जागरण भी कर रहे थे। अंग्रेज इन सबको अपने लिए खतरनाक मानते थे।

26 सितम्बर, 1886 को खतौली (जिला मुजफ्फरनगर, उ.प्र.) में सुंदरलाल नामक एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। खतौली में गंगा नहर के किनारे बिजली और सिंचाई विभाग के कर्मचारी रहते हैं। इनके पिता श्री तोताराम श्रीवास्तव उन दिनों वहां उच्च सरकारी पद पर थे। उनके परिवार में प्रायः सभी लोग अच्छी सरकारी नौकरियों में थे।

मुजफ्फरनगर से हाईस्कूल करने के बाद सुंदरलाल जी प्रयाग के प्रसिद्ध म्योर कालिज में पढ़ने गये। वहां क्रांतिकारियो

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्ररबों का देश द्‌ लौटने पर श्ररब को जीतने श्रौर वहीं श्रपनी राजधानी क्रायम करने का इरादा किया था लेकिन मौत ने उसे वहां तक पहुँचने नदिया। * बदलना भाशल' 2 568 शिलापपपकाए [)1500परा56, 0ि, 2.




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