हवाईनाव | Hawainaav
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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गंगाप्रसाद - Gangaprasad
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रामकृष्ण वर्म्मा - Ramkrishn Varmma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डा श्द )
ली
घट कार पु बनाया गया था । दधिणीय अमेरिका को
जंगश्ती जातियों बड़ी से बढ़ी नदियों को रस्सी के ऐसे छो
पुनों के ददारा पार किया करतो हैं। रस्सी का पुल देखकर
वानें ने क्दा--“उस पुल कौ भर देखिए; कैसो अच्छी
बनावट हैं |”
जुन--हां, लेकिन ओद | उधर टेखो ।
दोनों ने देखा कि जंगलों .जाति कौ एक स्त्री पुल को
पार करने चलो है । उस स्त्री का भ्राघा शरोर नहा था ।
वह अनुमान आधा पुल पार कर चुको थी कि ससा
उसकौ दृष्टि अपर को उठ गई, भर उसने हवाईनाव को
डेख लियां । ततुन्ण उसके मुंद से एक 'चौख निकली;
उसके डाथ पेर कापने लगे; पुल का रस्सा उससे छूट गया,
और वह पानो में गिर पढ़ी | केवल इतना हो नहीं उसके
शिरते दी दल के दल सनुष्थभचक घड़ियाल आदि जल के
जन्तु उसको खा जाने के लिये उसकी ओर. बढ़े वेग से
स््पटे 1
चर
न
चौथा प्रकरण ।
लफ़लो प्रौरत का जल में गिरना एक साधारण बात
थी; और बच पेर कर नदो को सुगसता से पार क्र सकती
३. बि
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