शान्तिदूत अमर बापू | Shantidoot Amar Bapu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
188
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)्रनर बाप | ्
का ठोस नियमत प्रचार हो गया । हर एक के हृदय में गुलामी का कर्लक
खटकने लगा ]
जनवरी १९२४ ई० में झाप को जेल से छोड दिया गया, क्योंफि श्रापकी श्रात्त
का आपरेगन हुझा था । ग्राप बेकोम, वावनकोर गये जहा हरिजन कार्य सम्पन्न
किया । वेलगाव कॉग्रेस के भ्रथ्यल् होकर कौंसिल प्रस्ताव पास हुम्ना । हिन्दू-
मुस्निम एकता के लिए दिल्ली में २१ दिन का उपवास किया । ०४ नवम्बर को
सावरवती झाधम में श्रात्रमवासियों की करतूत पर ७ दिन का फिर उपवास किया हे
सन् १९२४ में श्रखिल भारतीय चर्खा सघ की स्थापना की, सनू १६०७-१९२८
ई०से सायमन कमिशन का भारत भरने वहिप्कार किया । मद्रास में नीला की मूर्ति
हुठाने केलिए श्रौर १२-२-२५ ई० को वारडोली गुजरात में सत्याग्रह श्नात्दोलन छेटा
गया । सनू २९ ई० में लाई इविननें गोलमेज कान्फ्रेन्सकी घोषणा की, ब्रापन विरोध
किया । श्रापकों विठेशी वस्त्र की होली जलवाने पर जुर्माना भी हुभ्रा । सतू १६३०
ई० में सत्याग्रह सचालन के लिये काग्रेस के श्रविनायक नियुक्त होकर १२ माचें
को दडी यात्रा पैदल चल करके एक जोन भर दिया । २०० मील की याना ७६
स्वयसेचको के साथ समूद्र के फिनारे की । झ्नेक स्थानों पर गोलिया चली 1
वंगाल फरमान फिर जारी हम्ना । सहयोग श्रान्दोलन प्रौर विदेशी वहिप्कार का
नांवोंमें घर-घर प्रचार हुझा । श सई २० को दडी नसक सानून तोड़ने के ्पराधमें
आ्राप गिरफ्तार कर लिये गये श्र यरवदा जेल भेज दिय गये । मार्च २१ ई० में
सिंरसी कर्नाटक में लगानमें छंटकों लिये सत्याग्रह किया । ४ जनवरी 3? को वम्वई
में गिरफ्तार हो फिर यरवदा जेल भेज दिये गये । वहाँ से ८ मई १९३३ को छोड़े
गये। ३१ दिसम्बर २१६० को देडव्यापी श्रान्दोलन हुआ, एक लाख व्यक्तियों
मैं एक साल तक जेलो को भर दिया, जगह-जगह हठतालें, खूनसच्चर हग । भ्रम्रल
में चटरगाँव के सरकारी घस्वालयपर हमला किया गया, मर्ड में विद्रोह बढ यये ! सबसे
भयानक हत्याकाण्ट योलापुरका था । लार्ट इरचिन से समझौता हो गया । २१ माचे
को कराची में काग्रेस सधिवेगन हुझ्मा जिसमें महात्माजी दूसरी गोलमेंज कान्फ्रेस
के भारत भरमें प्रमुख प्रतिनिधि चुने गये । जनवरी में सभी राजनैतिक कंदी
मुक्त हो चुके थे । इसी वर्ष भतगर्सिह को फासी दी गई जिससे देगमे श्रयान्ति
फल गई । ग्रापनें हिन्दू मुस्लिम एकता का नारा लगाया,किन्तु कानपुरमें साम्प्रदायिक
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