गुण्-ठन | Gun-than
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
376
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पूछता हूँ कि पढकर क्या करोंगी १”? हे
पं पलिट्रेचर पढें गी। एम ० ए.० “इंग्लिश लिंट्रेचर' में करूँ गी ।?”
“फिर क्या होगा !”?
“इसको अभी तो बता नहीं सकती । शायद प्रोफेसर बन जा |?”
“'ुच्छी बात । यदद स्मरण रखो कान्ता ! कि जो तुमको खाने-पीने
को देता है, उसके भी साधर्नों की तीमा है ।””
“मुमकको बहुत कम घन की झावश्यकता पढेगी श्रौर मैं जानती हूँ
कि इतना तो श्राप के पास हे ही ।””
“तुमने मेरी बैंक की पास-बुक देखी है क्या **?
“'चहद खुली मेज पर पडी रहती है । इम सबने देखी है ।”
पर तुमने मेरे जीवन का बजट नहीं देखा ।””?
“वह भी श्रापने बनाया है क्या *”
प्प्ह 17
“कहाँ रखा है वह *”?
“पट, वह भी मिल जायगा |”?
भूषण मुगलपुरा कॉलेज में प्रवेश पा गया, कान्ता फोरमैन
क्रिश्चियन कॉलेज में भर्ती दो गई श्रौर नलिनी से विनोंट का विवाह
निश्चित हो गया |
एक बात भगवतस्वरूप को पता नहीं थी । प्रोफेसर रेड्डी क्रिश्चियन
था । उसके परिवार का रददन-सदन युरोपियन ढग का था । इस्डियन
क्रिश्चियन परिवारों की लडकियों को अपने लिये पति स्वयं टूँ ने पड़ते
हैं । इस कारण उनके माता-पिता लडकियों को इसके योग्य घना देते हद
कि वे श्रपने जीवन-साथी हूँ ट सकें और लब वे द्पनी खोज में सफल
दो जाती हैं तो फिर माता-पिता को मीन-मेख निकालने की श्रावश्यक्ता
नहीं रहती )
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