बीस प्रश्नों के उत्तर | Bis Prashnon Ke Uttar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
766 KB
कुल पष्ठ :
22
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( श४ ) लिन न िक :
झोता हे सोर पक्ष खमको यथायंद्शा मक्कों वरन क्संजन्य है ॥
( १५८ ) प्रझ्न अचमें द्रव्यका लक्तणा है को स्थिलिमें सद्दकारी
हो यह पृथ्वी अलिव्याप् है ली मुक्त लोव सिद्धशिला के ऊपर
इसके विराजमान होंगे उनके लोक काशसे बाहर छोनेके शारया
न तो घद्ां अधने द्रव्य होगा, जिससे स्थिति छोसके न थम
होगा जो उसको यसिमें सदकारी हो उनकी क्या दूशा छोगी ? ।
( चत्तर ) गति पूर्व्त स्थिति परियात समस्त कीय आर
पहुगलॉको सदासी नपनेसे यगपत् स्थिलि सहका रित्व भधस द्र-
व्यका लन्नख एथ्यीमें अतिव्याप्त नहीं क्योंकि यह लक्षण ए
अबोमें जाता हो नहीं । आपके वेशेथिक दर्शन में प्रथ्वीका
लक्षण रूप, रख, गर्थ, स्पशे वाली किया हे न कि स्थिलिका
सहकारी पसा आपका दिया दोष दोषाभास है अतः अघमें
द्रदयका लक्षण नियांघ है । सुक्तजोव सिद्ध शिलासे वार यो
जन रूचें लोकाकाशके भीतर हो सबंज्ञादि गुणोंसे युक्त शट-
रूप निजानन्दर्मे सग्न हैं ॥
,.. (१४ ) प्रझ-क्फ्रेय सूतिंद्शाकों प्राप्त होता है या मूतिं-
मान शरोरकों शपनो गाही या सक्ान बनाता हे सूति का
ज़च्तया क्या है ? जरा इसको बतलाये |
( खत्तर ) झात्साका पदगलकी एक पर्याय विशेष कसेंसे
ऋनादि कालसे खन्घ है आर जवसक उसमें बन्घ रहता हे
सबसक् झात्मा सूतिमान् शरोरोंको भी रखता छुआ कथझित्
मूलें है क्योंकि घन्घमें समय पद्ारधेका किसी प्रकार एकटव
ह्लोता है । रपशें, रस, गन्थ आर वसेपनेकों सुत्ति कहते हैं
झौर यद्द सूत्ति पना पृदुगल दरव्यर्म हो हे ॥
(९० ) मश्-आप के मुक्त शोब सिद्धुशिलासे बाहर जा-
खकते हैं कि नहीं !
( उत्तर ) मुक्तजीव सिद्ुशिनासे वार योजम आर ऊंचे
सॉकाकाशक अन्ततक् हो का सकते हैं। उससे बाइर नहीं, क्यों कि
झागे उनके गमनझ सद्कारो कारणा घसें ट्वप सह्कों है । एक-
यार सुक्तिस्थानमें मुक्लजीवॉकि प्रतिश्ित हो जाने पर पुन
खुनका घायागमन कररशाके शभावसे कभी नं होता ॥
कुचर दिउ्विजयसिंह | कवर दिग्विजयसिंह बीधूपुरा--इटावह |
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