धातुओं के रोचक तथ्य भाग - 2 | Dhatuon Ke Rochak Tathy Bhag - 2

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Dhatuon Ke Rochak Tathy Bhag - 2 by राजकुमार - Rajkumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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फनी मे हि गया नंद संपर्िद वलानिक पारसेल्स ने अपने लेखों मे इस शान कर प्रयोग सर पर दिया ' टसस पथ्ल इस थानु के बहुत सारे नाम थे मुक्त रहने निया उरी पी आडि। जिक' शब्द लातीनी भाषा से लिया गयी 7 इसूवा सर हे. 'मफद पल | 1:दा में उमन रसायनत कघा मामुकर्मी फ्रीडरिखे मेन्कल (जर्मनी में पढ़ते समय सोमतनासाव उनहें शिप्य ये थे) ने एक खनिज केलेमाइन से जिंक पृथक कर सना मन्केल ने कससाइन की जलाकर प्राप्त राख से चमकीला जिंक प्राप्त फिया मोर एसालेस दाम अपने लेखी में इस धानु की अमरपक्ी से तुलना की ! गुसय से जिक को पहना कारखाना डं्लेंड के एक शहर ब्रिस्टल में 1745 ये लगाया पद व दस प्ेटना से चार साल पहले (एक अग्रेज धातुकर्मी जान चैम्पियन में नस्पीकृम अनस्कों से आसवन-विधि से जिंक के उत्पादन का पेटेट ले लिया था व्रिस्सल के उस कारखाने में जिंक के उत्पादन की तकनीक प्राचीन बेनाम नर पिया की लफमीय से पूर्णिया सिलती-जुलती थी । परंतु जिक्र के औद्योगिक “नपादन को शन धस्पियन को मिला क्योकि प्राचीन कारीगर यह जानते तक नहीं श्र कि पटर कया दाना है। लगभग बीस साल तक चैम्पियन जिंक के प्रगलन में खस्तें रहा और उनमे उसके उत्पादन की एक ओर विधि ढूंढ डाली जिसमे यररने पान को काम जिंक आऑससाइड महीं बल्कि जिक सल्फाइड कर रहा था। अगर 'व्िस्टल के कारखानि में जिंक का वार्षिक उत्पादन 200 टन था, तो हमर दिनों में विश्व से उस धातु का उत्पादन लाखों टनों में होता हे। आकड़े बताने है कि लाने उत्पादन के हिसाब से अलौह धातुओं मे इस धातु का तीसरा म्याम है --फवल पेलुविनिवम तथा ताथ्र का उत्पादन इससे अधिक है। फिर भी अम्य ऑधगिक यातुओं के मुकाबले जिक में एक खास खूबी है और वह यह कि इसका उन्पादन सस्ता पड़ता हैं (विश्व मंडी में कंवल लोहा तथा लेड इससे सस्ते हैं! । प्रायीन आसवम्विधि के अलावा जिंक का उत्पादन विधुत्त अपघटन-विधि सभी क्रिया जाता है जिसमे जिंक ऐलुमिनियम कैथोडो पर इकट्ठा कर लिया जाता है 'ीर फिर प्रेमियों में पिघला लिया जाता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अग्रेज वैज्ञानिक हेनरी बेसेमर ने, जो स्टील प्रगलन परिवर्तक के मिर्माता के नाम से सारे विश्व में प्रसिद्ध हैं, 1868 में एक सौर-मही बनाई । उन्हें इस भट्टी में ताम्र और जिक के प्रगलन में सफलता मिल गई, परतु यह भट्टी प्रचलित नहीं हो पाई । इसके दो कारण थे--पहला यह कि भट्टी के तकमीकी प्ररूप में काफी कमी थी और दूसरा यह कि इंग्लैड में धुधली छाई रहमे से इसका व्यावहारिक प्रयोग काफी मुश्किल था। अाााा जलन जन ना न . >नक विधकय लि न गए जलन 'वादर जिससे स्टील ठका जाता है / 13




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