आजादी के सत्रह कदम | Ajadi Ke Satrah Kadam
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
535
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हूँ । बह थो पुरामे बंग थे उममें जो बहुठ-कुछ अच्छाई थी महू हमें रखती है
आर उनमें जो बहुत-ऊुछ बुराई थी बहू छोड़नी है डर अब हम पुराने अम से काम
यही कर सकते । उन्हें इस मुस्क को बनाने में मदब करनी है लें धगता के शाम
सहपोज करने में मदद करती हैं उनको भतठा का सहयोग अपनी तरफ खीचगा है ।
आप जानते है बाजकस हमारे यबनेमेट के काम की हुर तरफ़ काफ़ो बदनामी
मी है। तो जो हमारे बड़े बफनर गौर छोटे जफतर हैं में चाहता हूं मे सोच बौए
-समझे कि एक इम्तहात का बषत है उनका हमारा और हर एक का--आर लाए
करके ऐसे हर एक शख्स का थो कि एक जिम्मेदारी की थगह पर है-- कि गढह
अपने काम को तच्षाई से ईमानदारी से खौर ज़िम्मेदारी से करे और बगैर किसी
नकौ तरफररी के करे, क्योकि चहां कोई अफसर या जिम्मेदार शख्स तरफ़दारी
करता है बहू अपनी चगह के काबिल नहीं रहता । हमें काबिल खादसी 'बाहिए,
बड़े-बड़े काम करने के लिए, लेकित काबलियत से भी एयादा जशरी बात है कि
सचाई ईमातदारी जौर एक सेवा का साय हो । प्रयर इस मुस्क की ठीक लिइमत
-शही करते शऔौर अगर उसमें सच्चाई तही तो फिर हमारी काबलियत
हमें किप्नर ले जाएपी । उस काबलियत से मुस्क में और शुकतान हो सकता है!
इसलिए अम्यल सबक जो हमें याद करना है बह मई कि हमे इस मुल्क को
सच्चाई के रास्ते पर चलाना है । बौर महू बुनियादी सबक था जो महात्मा थी
ले हमें सिखाया था बौर जिस पर कसौबंश भर इतत बरसों सं हुम चल जिससे
हिम्बुस्तान की इक्जत दुलिया में हुई । यही सही जिससे इस बक्त तकऋ--हासाकि
हम गमजोर लोय हूं और लकसर ठोकर लाते है--विनतने ही लोग हिखुरताम
कौ तरफ देखते हैं क्योकि इसने अपनी सियासत में एक इंप दिया । शाम तौर
से समझा थाठा था कि सियासत एक फरेब कौ चौजद् है एक मूठ बोलने कौ बीज
है सैकिन हित्दुस्तात की सियातत राजपीति चो तापी जी ने हम सिलाई ऊउपम
झठ थौर फ़रेब को जस्होते नही रखा था । लोय अब भी समझते हैं कि चासबाजी
से मुश्क बड़तें हुं। चालगाजी से न इतसात बढ़ते हे--शायद थोड़ा उससे सी
'फापदा हो जाएं--त मुक्क बढ़ता है । खासकर, जौ सुल् बड़े होने की जुर्त
करते हूं दुतिया में धोछा दे ऋर, चाल दे कर बहुत शाय तह्दीं बद सकते! थे
अपनी ड्रिम्मत सै और सच्चाईँ और बहादुरी से और खिदमत से बइते ई । इस
लिए इस बकत यइ सबर हुमें वात तौर सै माद रखता है। बौए हमारे दिलों में यो
एक रजिल है जो एक मअदावत है उतको भी निकालना है। टौक है कोई णतणा
जाए बोर अपर कीई हमार दुश्मत हू तो उसका शामता हस करेब । सैक्नि अमर
'विलरमें इव रंजिल रखें जौर अदादत रस हमर रखें मुस्सा रखे तो हमारी
साउत जामा हो जाती है गौर इस बहुत गाम सही कर सकते ।
शाजनोति गया चोज है ओर देश का काम अया चेंज हैं? राजनीति एक
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