श्री जैन रामायण | Shri Jain Ramayan
श्रेणी : नाटक/ Drama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
272
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्वयम्बर आादश {२६५
भिहल-स्यो याद किया है बता कया भाड़ लाया हैं ।
चोधदारे-मेहीराज जल्द चलिये कि दर्दार भाप है।
अमिदलल- दार से तो मुझको नहीं कों कामं ६१
चपलबेग का यह नजाग देखकर तीज्जुषमे राना घोर पुना
चपलंवग रे! कुंबर झान यह तेलार तो वदशत कसी |
किसिकी इन्त में बनाई है यद सूरत देसी ॥
भामंडल--र्या बताउं हुमें इस वक्त हैं हालत कैसी ।
चस में भपने नहीं पूछो न यदं तवियंत सी ।
चपलदेग--पष्ं केवर जी क्या, भाज बेहशत ह तुमको 1
खयाले सनम से जो, उन्पूत दै तुप ॥
भामंडल--मुनी एक तसवीर, दे गये हैं मुंभकों 1
हुआ देख शैदा मुनाउं क्या 'तुर्भको ॥
चपलबेग--कहीं करने की सच्ची होती हैं बातें |
अजब तरह की ये मुददव्यत है तमफों ॥
उठों कबरां जल्दी से, पोशाक बदली ।
इमेशा से जसी की शादत थी तुमकी !।
भागंडल-पह समर इव सही, शरदं न फुरसत हूं मुकफों !
करू याद उसकी, सुनारं क्या तुमको ॥
चपलबेंग का गाना फुंबर भंग नाम, उसका तुम वतामों |
है रहना उसकां कहां; मुकसे जताश्री ॥
जो हो स्मान में छिन भर में लायं ।
न्मी को फट फर पाताल जाउं ॥
„ करू जेर शृ दुनिया को झब में ।
लाव उसको उठा ताकत ये पभम ॥
भामंदल (गनौ ) नाम: हैं जानकी, सुन उस परी का |
रुप सम्दर जी, रधान सका ॥!
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