नागरी प्रचारिणी पत्रिका | Nagari Pracharini Patrika

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Nagari Pracharini Patrika  by आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्याय - Aadinath Neminath Upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वसुदेबहिंडी १७१ भाषा में लिखे जान पढ़ते हैं । ऐसा होते हुए प्रसंगानुसार अलंकारमय तथा समास- प्रचुर भाषा का भी प्रयोग मिलता है । यह प्रधानतः गद्य प्रथ हैः, परंतु बीच बीच में पद्य भी झ्ाए हैं । “बसुदेवदिंडी' में प्रयुक्त कितने दी शब्द किसी भी कोश में नहीं मिलते । उसमें शब्दों के ऐसे प्राचीन रूप मिलते हैं जो पिछले काल के प्राकृत प्रंथों में भी भाग्य से ही दिखलाई पड़ते हैं । इस प्रथ का सबसे श्रधिक मह्व यह है किं इससे गुणाढ्य की ब्ृहकथा की शैली रादि का पता चलता है।




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