राजपूताने का इतिहास जिल्द 2 | Rajputaane Ka Itihas Jild 2

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Rajputaane Ka Itihas Jild 2  by महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उदयपुर राज्य का इतिहास था आधा अआसाअा आर मंडोवर के राठोड़ राव लूडा ने अपनी गोहिल वंश की राणी पर अधिक प्रेम होने के कारण उसके बेटे कान्हा को जो उसके छोटे पुत्रों में से पक था रणमल का राज्य देना चाहा । इसपर झप्रसन्न दोकर उसका ज्येष्ठ मेवाड़ में झाना पुत्र रणमल्र ४०० सवारों के साथ महाराणा लाखा की सेवा में आ रद्दा। मद्दाराणा ने चालीस गांव देकर उसे अपना सरदार बनाया । इस महाराणा की वृद्धावस्था में राठोड़ रणमल की बहिन हंसबाइई के संबंध के नारियल मद्दाराणा के कुवर चूंडा के लिये झाय उस समय मद्दाराणा स्यूडा का राज्या- ने देसी मे कद्दा कि जवानों के लिये नारियल हैं विकार छोड़ना हमारे जैसे बूढ़ा के लिये कौन भेजे ? यह वचन सुनते ही पितृभक्त चूंडा के मन में यह भाव उत्पन्न हुझ्ा कि मेरे पिता की इच्छा नया विवाद्द करने की है । इसी स प्रेरित होकर उसने राव रणुमल से कहलाया कि आप झपनी बहिन का विवाद महाराणा के साथ कर दीजिये । उदखने इस बात को स्वीकार न कर कद्दा कि महाराणा के ज्येष्ठ युत्र होने से राज्य के झधिकारी छाप दैं झतपएव आपके साथ शादी करने से यदि मेरी बढिन से पुत्र उत्पन्न इु्मा तो वह मेचाड़ का भावी स्वामी होगा परंतु महाराणा के साथ विवाह करने से मरे भानजे को चाकरी से निवांद करना पड़ेगा । इसपर चूंडा ने कहा कि झपकी बढिन के पुत्र हुआ तो वह मेवाड़ का स्वामी होगा और में उसका सेवक बनकर रहद्ूंगा। इसके उत्तर में रणुमल ने कदा मेवाड़ जैसे राज्य का अधिकार कौन छोड़ सकता है यद्द तो कटने की बात है । इसपर चूंडा ने पकलिंगजी की शपथ खाकर कहा कि मैं इस बात का इकरार लिख देता हं शाप निश्चित्त रदिये। फिर _प्तन श्पने पिता की इच्छा के विरुद्ध झाग्रद्द कर उनको नद्दे शादी करने के लिये बाध्य किया और इस आशय का प्रतिक्षा-पत्र लिख दिया कि यदि इस विवाद से पुत्र उत्पन्न हुआ तो राज्य का स्वामी वही १ सारवाड़ की ख्यात में रणमल का महाराणा मोकल के समय मेवाड़ में श्याना श्ौर जागीर पाना लिखा है जि० 9 प० ३३ जो विश्वास के योग्य नहीं है क्योंकि रणा- मल के मेवाद में रहते समय उसकी बहिन हसबाई के साथ महाराणा लाखा का विवाह होना प्रसिद्ध है । मद्दाराया सोकक्ष ने तो रणमल की सहायता कर उसको मंडावर का राज्य दिलाया था ।




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