क्या करें भाग - 2 | Kya Karen Bhag - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
334
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about क्षेमानंद 'राहत'- Kshemanand 'Rahat'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गूर मार्च महीने मे रात को कुछ देर से में घर जा रहा
था । गली में घुसने पर दूर के एक खेत, मे , बरफ
के ऊपर काली-काली पंरंछाइयाँ-सी मु दिखाई थी । मेरा ध्यान
उधर न जाता, यदि गली के, किनारे पर खडे हुए सिपाही ने, उन
परछाइयों की श्रोर देखत हए चिहा कर न क् होता ।
“वासिली ! तुम श्राते क्यो नही ? - , ,
एक श्रावाज ने,जवाव दिया, ““यह चलती ही नहीं” । और
इसके वाद परद्ाहयो सिपाही की मोर श्राती हे दिखाई दी ।
में ठहर गया और सिपाही से पूछा-- ¬ - ;
क्या मामला है ९
१९
User Reviews
No Reviews | Add Yours...