हिन्दी कविता में युगान्तर | Hindi Kavita Men Yugantar

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Hindi Kavita Men Yugantar by सुधीन्द्र - Sudhindra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषयानुक्रम १. पूर्वाभास (पृष्ठ १-६) २. जीवन की पृष्ठभूमि (पृष्ठ ७-५६) कः सांस्कृतिक पीठिका : नवचेतना--(१) ब्राह्मसमाज ११, (२) झायंसमाज १४, (३) वेदान्त श्रौर विवेकानन्द १९, (४) गाधी और श्रहिंसावाद १७. खः राजनीतिक गतिविधि : स्वराज्य की ओोर--राजनीति की त्रिविधं शक्तियाँ २२, शासन-सुधारवाद २३, क्रान्तिवाद २१, आतंकवाद २६, सम्प्रदायवाद २७, खिलाफृत आंदोलन २१, दक्षिण श्रीका का सस्याग्रह ३०, प्रथम यूरोपीय मदासमर ३१, रूस की क्रान्ति ३१, रा्ट्रीयता का दसरा उवार ३१, गांधी का प्रवेश ३२, गरधिी-युग का सूत्रपात ३३. गः सामाजिक स्थिति : सुधार श्ौर प्रगति--श्रार्थिक दशा३७,नेतिक दुशा ३१. घः कला श्रौर साहित्य : नवोत्थान--देशभाषा हिन्दी ४३, हिन्दी भाषा श्रौर नागरो लिपि ४३; सादित्यिक नवोत्थान : ज्ञान का जागरण ४७. ङः साहित्य की प्रेरक युग-प्रबृत्तियाँ : बुद्धिबाद श०, श्राद्शवाद्‌ ९१, जनवाद झौर मानववाद ५३, राष्ट्रवाद २४, स्वच्छुन्दवाद ११. ३, कविता का स्वादय (पृष्ठ ५७-११५) कृ: काव्योत्थान का प्रथम चरण : भारतेन्दु-काल का मूष्यांकन ९३. खः क्रांति का द्वितीय चरण : द्विवेदी-काल ६१. गः क्रांति की साधना : रूपरेखा, १. क्रांति के इ'गित और पदचिह्न ६८--छन्द ६४, भाषा ७१, अथ ७२, विषय ७३. २. 'रूप” की कऋान्ति-- नृतन भाषा-विधान' ७४ खडी बोलती की परम्परा ७९.-खदी बोली कविता-श्रदोलन का सूत्रपात ७८; “इभिनव छन्द विधान ८६,-श्चमित्र छन्द ३४, सुक्तछुंदु १०१. ३. रंग” की ऋंति- नूतन विषय-विधानः १०३, कथिता के




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