चतुरंग | Chaturang
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.78 MB
कुल पष्ठ :
73
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उनास्ती बुव्क शुल्क स्कर व्लय्पाच्
क्यों झाती रुक-सरुक कर बयार,
लौटा ले जाती छुपा प्यार,
क्यों श्राती रुक-सुक कर बयार।
झाँखों की कोरों को छूच्ू+
प्नकों की तालों में हिल-मिन्न,
क्या कुछ कह जाती है सुप-चुप
स्मृति मानस-पट पर सितासिल ?
कुछ लाती कुछ ले जाती है.
जब धातो रूक-सक कर बयारु।
गीतों में सरगसम का संगम,
श्वास ज्यों गंगा-यमुना जस:
कर का कर से. स्पश सजग,
पावन उृत्तों . का. पाउन फल ॥
गंगा-यमुना सी. निंमें् यह,
बहू ध्ावो सरुक-सरुक कर. यार ।
उठती माटी से. मधघुर गंध,
क्या. टूट चुके हैं सभी. बंध
बँघ. बंठा तो. श्नजाने में,
झाजीबवन का वह. सूदुबंधस +
क्षिपटी स्दुमघुर सुगन्धों में,
सिह्रानी रूक-रूक कर. बयार।
| | ६
हक भा
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