प्रवेशिका हिंदी रचना | Praveshika Hindi Rachna

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Praveshika Hindi Rachna  by कन्हैया सिंह - Kanhaiya Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निवबन्ध रचना । सललललललललउररशमाशगााकणणतागाागाणाणकणणणणणणालकणगााणववणानामररनलकलनलटकमापाठानटणलणणालामकिनन सामाजिक । स्वाभाविक या श्रम्यासलम्य । कारण । प्रकार । संचय। तुलना । दोष गुण । फल । हानि लाभ । दृष्टानन प्रमाण । उपसहार । नोट-ऊपर के विषयविभाग साधारणत पथप्रदर्शन केलिये हैं परन्तु सभी विचारात्मक लेखों में भलीभाति नहीं लगते | श्रम्यास से स्वय इस बात की सूक होती जायगी । इस पुस्तक में जितने लेख दिये गये हैं इन पर दृष्टि डालने से इसका पता झापदी झाप लगजायगा । लेख सिखानेवाले शिक्षकों से हमारी राय-- शिक्षकों को उचित है कि वे विद्यार्थियों को हताश न कर घोरेघीरे साहस बढ़ाते इुप झभ्यास कराव । पदले वर्णनात्मक तब विवरणात्पक श्लौर सबसे अंतप्रे विचारात्म ऋ लेख लिखावे । विषय दो एक दिन पदलेदो निश्धत करदें । विषय पर विद्यार्थियों से भलीभांति बातचीत कर । आरम्भ दी से उत्तर पूर्ण वाकष्यों में लियाकर । बातचीत द्वारा बाठकों दी से विषय विभाग निश्चित करावे | जब लड़के पूर्णरीति से समभजाये तब लेख लिखलाने को कहें । लेखकों शुद्ध कर अपना मन्तब्य मीठे मीठे शब्दों में प्रकाश कर दिया कर । यदि यद्द राय मानीं गई तो देखेंगे कि उनके घिद्यार्थी कुछ ही समय में अच्छे ठेख लिखने लगजायेंगे ।




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