पार्श्वदास पदावली | Parshvanath Padavali

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Parshvanath Padavali by गंगाराम गर्ग - Gangaram Garg

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गंगाराम गर्ग - Gangaram Garg

Add Infomation AboutGangaram Garg

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
घस्तावना हिन्दो कै विकास के जेन विद्वानों का प्रारम्भ से ट्वी महत्वपूर्ण योगदान रहा है । इम भापा की प्रारम्भिवा शताद्दियों में जन विद्वानों का ध्यान झाकृष्ट करने मे महापु्डित राहुल साकृत्यायन का नाम सबसे श्रथिक उल्नेखनीय है, जिन्होंने अपनी एक पुस्तक “हिन्दी-काव्य-घारा” में स्वयम्भू को हिन्दौ करा प्रथम महा- कवि घोषित किया और उसके हारा निवद्ध 'पउमचरिउ' को हि्दी भापा की प्रथम महाकाव्य । स्वयम्सू ८-€वी _शताद्दि के कवि थे । राहुल भी के पश्चात झा० हजारी प्रसाद द्विवेदी, डॉ ० वासुदेवशरण श्रग्रवाल, डॉ० माताध्रसाद गुप्त, डॉ० सत्येन्द्र एव नाथ गा डॉब रामसिह तोमर जये हिन्दी के. शीर्पस्थ विद्वानों ने, जैन विद्वानों दारा निवद्ध हिन्दी साहित्य के महत्व को हिदी जगत के समक्ष प्रस्तुत किया भ्रौर उन्हे साहित्य के इतिहास मे समुचित स्यान देने का श्राग्रह क्या । गत कुछ वर्पों में हिन्दी को सकडो कृतिया प्रकाश में श्रा चुकी हैं। इसके श्रतिरिक्त राजस्थान के जेन शास्त्र भण्डारो की ग्रत्य सुचो के पाच भाग प्रकाशित हुए हैं, उनमे हजारो हिन्दी रचनाश्रो का विवरण प्राप्त हुप्रा है भ्र र(महाकवि स्वयम्भर पुष्पदन्त, धवल, नयनन्दि, वीर, रदु जसे धपश्न ण कवियो फे श्रतिरिक्त हिन्दी जन कवियो की हजारो कतिया सामने म्रायी ह । ये कृतिया हिन्दी साहित्य की समृद्धि मे चार चाद लगाने बाली हैं । रल्द- कवि का “जिणदत्त चरित ( स० १३५४ ) तथा सघारु कवि का श्रदयम्त चरित” (० १४११ ) जेसी हिन्दी कौ प्राचीन रचानाभ्रोके प्रकाण मेभ्रानेसे हिन्दी के मिक दिकास को समभने मे पुरा योग मिलता है । यही नही, साहित्य की प्रत्येक विधा मे गत कुछ वर्पों में जो भ्रनेक रचनायें मिली हैं, उनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती है । काव्य चरित , एव रास, सन्ञक काव्यो के श्रतिरिक्तं फागुभेलि, गीत, विवाहलो, वारहमासा, विलपति श्रादि कुं ऐसी विघाए हैं जो हिन्दी का जनप्रिय स्वरूप सिद्ध करने मे सहायक होती हैं न देहली, श्रागरां एव राजस्थान के विभिन्न प्रदेश हिन्दी जन कवियो के भमुख केषर रहे । महाकवि वनारसीदास, कौरपाल, भूषरदास, भगवतीदास जैसे प्रतिभा- [ एक




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now