1023 गीतामंथन 1939 | 1023 Geeta-manthan 1939
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.01 MB
कुल पष्ठ :
440
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
किशोरीलाल मशरूवाला - Kishorilal Mashroowala
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शंकरलाल वर्मा - Shankarlal Verma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपोदूघात भ्
नियमों एव सिद्धान्तों को सूचमता श्रौर व्यापकता की नित्य नई प्रतीति
होती जाती है । ,
इसलिए, यह न समभना चाहिए कि गीता कोई गोलमोल झथवा
गुप्त भाषा में लिखा ग्रन्थ है और इसलिए वह गृूढ़ है । बात यह है कि
हमारा 'जीवन निरन्तर विकासंशील हैं श्रौर उसका प्रथकरण श्रासानी से
नहीं होता, यद्दी उसकी गूढता का कारण है । दूसरे शब्दों में कहा जाय
तो, गीता गूढ़ नहीं बहिकि जीवन गूठ़ है और चूकि गीता जीवन से
सम्बन्ध रखने वाला ग्रन्थ है इस कारण वद्द यूढ-सा बन गया है ।
र्
गीता का मन्थन बार-बार करना क्यों झ्ावश्यक है, वह इस सम्बन्ध
में इतना कह देने के बाद अब हम गीता की रचना पर विचार करें ।
गीता महाभारत का एक भाग है । महाभारत को समान्यत: इतिहास
कहा जाता है । किन्दु उसे साधारण श्रर्थ में इतिहास अथवा तवारीख या
हिस्ट्रीकदना भ्रूल है । वद्द इतिहास नहीं बल्कि ऐतिहासिक काव्य है। '
पाणडव और कौरव के जीवन की कई खास-खास घटनाओं का
वर्णन करने के लिए. कवि ने एक महाकाब्य के रूप में
में उसकी रचना
की है। कवि का उद्देश यह नहीं कि वह घटना-क्रम का ज्यों-का-त्यो
वन करदे । उसका, मुख्य उद्देश्य तो है एक महाकाव्य की रचना
करना, और उस महाकाव्य के लिए उसकी मुख्य योजना है कुरुवश क
युद्धक़ो उसका अपना विषय बनाना ।
काव्य होने के कारण इसकी कितनी दी घटनायें, कितने दी पात्र और
कितने ही विवरण आदि कल्पित हो सकते है। इसमें झगर कहीं दो
व्यक्तियों के बीच कोई संवाद झ्ाया है तो हमें यह नद्दी समझ लेना
चाहिए कि वह सवाद किसी रिपोटर का लिया हुश्रा अथवा किसीने ज्यों
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