उपनिषदों की कथाएँ | Upanishadon Ki Kathaen
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
261
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about इलाचन्द्र जोशी - Elachandra Joshi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वायु ने उत्तर दिया--“'इस प्रथ्वी में जो कुछ है, मैं .
उसे उड़ाकर आकाश में ले जा सकता हूँ ।”
यक्त ने जव उसकी इस प्रकार की दर्पभरी वात
सुनी तो उसने उसके रागे पक हलका-सा तिनका रख
दिया ओर कहा--ईइसे उड़ाश्रो तो जानें ।”
वायु ने वहुत च की, पर वह उस तिनके को
अपने स्थान से तनिक भी हिलाने-इलाने मे समर्थं नदीं
हुआ । अत्यंत लज्ित होकर वह देवताओं के पास लौट
चला और बोला--“में नहीं जान सका कि यह यक्ष
कौन है ।”
देवताओं ने जब वायु को भी विफल पाया तो
उन्होंने इन्द्र से प्रार्थना करते हुये कहा--'हे इन्द्र !
तुम ही हम सबमें अधिक प्रतापशाली हो, इसलिये इस
अद्भुत तेजशील यक्त के पास तुम ही जाद्ो और इस
वात का पना लगाश्रो कि वह कौन है ।”
देवताओं ने जब इस तरह की प्रार्थना की तो इन्द्र
ने कहा--“अच्छी बात है। मैं जाकर निश्चय ही इस
बात का पता लगाकर आता हूँ कि यह यक्त कौन है,
वह यहाँ क्यों श्राया है श्रौर वह हम लोगों से क्या
चाहता हे ।”
ऐसा कहकर वह बड़े श्रभिमान के साथ 'यक्ष के
पास जाने के लिये आगे बढ़ा ।' इन्द्र को समीप आते
देख यत्त॒ उसका गवं चूर करने के उदेश्य से उसके
सामने से श्रन्तधीन हो गया ।
इन्द्र यह देखकर चकित रह गया श्रोर जिस श्रोर
यक्ष अन्तधान दुआ था उसी श्रोर भोचक्ता-सा खडा
उपनिषदों की कथाएँ ; छ
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