मंझल | Manzhal
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सवार युफा बननी डगर सू जरल णव दगा भरता भरतों दूगरो
माप घढ़र्पो । बगलो सास भेक छोटी सोक निदारी ही) पचास अक् जातरी
चौर में वठा जायण देव हा । बपसी रो शिवाड छुलो हो । मोऊ तेल रो दीपो
चसे हो । बगसी मे हाथ माप पहाद उठाय बजरय बरी रा मूरती हो जिकी
सिंदूर मर मालीराना लाए-सायर आप रो बाकार् ई शोद्ण छागगी ही । चादी
सो भे छतर देवठी माप सटकं हो । दीय सू निकठत काजत बएली न माय
सू काठी कर राखी ही । छतर री मोदी आप रो रग ई गमा चुकी ही । दीये
कन धूपियों रास्पोड्ो हो । सामे पढी थाली में घूरमों अर चिन्दया घाल्योड़ी
ही।
भगूण भाम म सदौ चमकण लगी हौ । जावतो मघारो भागत् भ्रूत
भ्यू सलाद ष्टो 1 होढ होढ सफेदी गरी लाल हुवण लागयी ।
सूरज री परी किरण पीपी वगरली रमाय बहण सगगी। जागण बद
हुयग्यो हो । सगठ्ठ मेवे साग ई जप बोलर, बगली लार कूढ हो बठ पाणी
पोवण सारू जावण लागग्या । जातरथां र पीदण खातर ईट्ो उण वुड रो
पाणी ६ सूरज री किरणां शूगरी माप शेलण लागगी। तावडों आकरों हो ।
दूर दूर ताई पसरपोडो रोही तावड़ मं सिनान कर हो । दरसण कर ने, सिंदूर
भसूत रो टीको लगायर जातरी टोठा में ठुरण सागग्या ।
भीड़ हुदण सू सवार दास कने ही, निसवारो तार ठरग्यो हो । यू
ज्यू भीढ खिंडण लागी मो झाग सिरकतो गयो । पुजारीजी इकतारो साम
'राख्या, आंस्या मीच्या सुस्तायू या ह। छुमछमिया कन पड़पा हा । कन
पू्र सवार जयकार करन पगा कानी हाप करभो । पुजारीजी महाराज
आधी खुली भाखरूया सू पूछूपो--दर्ण आयो है
् शौच तो पोहुर मेक रात गया हौ पूगग्यो हा सखवार आग कयो--
*अठ मवार ई आयो हू ।'
सूरज बोहूठो ऊचो चदग्यो हो । सगठी डूगरी तादशं मे: रमै ही । पून
रा फटकारा जोर सू लाग हा । जातरथा रो टोठया रीच जावतती दख ही ।
माभ 15
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