मंझल | Manzhal

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Manzhal by रामनिवास शर्मा - Ramnivas Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सवार युफा बननी डगर सू जरल णव दगा भरता भरतों दूगरो माप घढ़र्पो । बगलो सास भेक छोटी सोक निदारी ही) पचास अक्‌ जातरी चौर में वठा जायण देव हा । बपसी रो शिवाड छुलो हो । मोऊ तेल रो दीपो चसे हो । बगसी मे हाथ माप पहाद उठाय बजरय बरी रा मूरती हो जिकी सिंदूर मर मालीराना लाए-सायर आप रो बाकार्‌ ई शोद्ण छागगी ही । चादी सो भे छतर देवठी माप सटकं हो । दीय सू निकठत काजत बएली न माय सू काठी कर राखी ही । छतर री मोदी आप रो रग ई गमा चुकी ही । दीये कन धूपियों रास्पोड्ो हो । सामे पढी थाली में घूरमों अर चिन्दया घाल्योड़ी ही। भगूण भाम म सदौ चमकण लगी हौ । जावतो मघारो भागत्‌ भ्रूत भ्यू सलाद ष्टो 1 होढ होढ सफेदी गरी लाल हुवण लागयी । सूरज री परी किरण पीपी वगरली रमाय बहण सगगी। जागण बद हुयग्यो हो । सगठ्ठ मेवे साग ई जप बोलर, बगली लार कूढ हो बठ पाणी पोवण सारू जावण लागग्या । जातरथां र पीदण खातर ईट्ो उण वुड रो पाणी ६ सूरज री किरणां शूगरी माप शेलण लागगी। तावडों आकरों हो । दूर दूर ताई पसरपोडो रोही तावड़ मं सिनान कर हो । दरसण कर ने, सिंदूर भसूत रो टीको लगायर जातरी टोठा में ठुरण सागग्या । भीड़ हुदण सू सवार दास कने ही, निसवारो तार ठरग्यो हो । यू ज्यू भीढ खिंडण लागी मो झाग सिरकतो गयो । पुजारीजी इकतारो साम 'राख्या, आंस्या मीच्या सुस्तायू या ह। छुमछमिया कन पड़पा हा । कन पू्र सवार जयकार करन पगा कानी हाप करभो । पुजारीजी महाराज आधी खुली भाखरूया सू पूछूपो--दर्ण आयो है ् शौच तो पोहुर मेक रात गया हौ पूगग्यो हा सखवार आग कयो-- *अठ मवार ई आयो हू ।' सूरज बोहूठो ऊचो चदग्यो हो । सगठी डूगरी तादशं मे: रमै ही । पून रा फटकारा जोर सू लाग हा । जातरथा रो टोठया रीच जावतती दख ही । माभ 15




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