भारत के अमर सेनानी महाराणा प्रताप | Bharat Ke Amar Senani Maharana Pratap
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.87 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ भवान सिंह राणा - Dr. Bhavan Singh Rana
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उसका शासनवाल 1326 इं० से 134 रहा 4 सके दूपू
1303 में अलाउद्दीन दिलजी मे पर हमसा फरके राल घानी
पर अपना अधिकार कर लिया था तथा आपने पु को यय्ा कया सूबे
दिया था । महाराज हमीर बप्पा रावल के ही समात यीर शासक था # विदेशी
शासवों के चित्तौह पर अधियार थो व सा अपने पूर्व शासरो
बष्या रावत और द्ितीय ही सोरबधाती परम्परायों दे प्रतिसूल
समझता था । यह दस दिदेशी शाम रह थों उपाड़ फीदने वे सपने देख रहा था ,
मिहासन पर बंठते हो हमीर ने सर्वप्रथम अपनी मैन्य पकित को बढ़ाता
मगर दिया झौर अप ही रासप छ उसने अपनी शकित अदा सो । जब उसे
विश्दास हो गया कि वह थलाउद्रीग से सामना बरतने हे समएं है
सो उसने पर काइमण धर दिया । दोनों थे युद्ध हुआ थीर
पर हमीर था अधिगार हो गया । निश्यय ही उसवा यह बाएं प्रशसनीय एज
शीरोखित था गो (हमीर) हि शदंद्रदस व एडयी एरएए बी डॉ
बालान्तर थे उसमें बशओी थी पददी इनी । इसी बे अर पे
बा होदा प्रारम्भ हुआ । दशा वे ब पराडिन
बरने बे बाद कपीर से तुगलब शारर रा युद्ध वि । इस मुडी में उसे दर देधी
प्रात हुई । इन विज में परिशासरदरुप फीलदाहा चदारददुर
सपा ईटदर भी मेंगाइ मे हो ग८ | हगीर ने आदत
मे भी राज्य भार अपने उ्देप्ठ पुष सेभ्रमिह वो रौप दिया थी दो
बिहा था पोग्य पुत्र पा । उठते अपने फिशा बे काय बेर डर अुए' और
अजमेर, जहाजपूर, तदा एप पर विकार बर रए बए
विदा । उसने अपने परकण हे गसिद पं सुलन अपएएएं था मे एम से
पराशिंग विद । बाइ उसररा पुर संग हर न मद कर शरद
दंगा, शिते श्र एगलमानो वे धबमहो का समा कर 1 दाए | अरर
ह, हरिए मै सोकिए के कवि बाई फिए दम डिक
खितो हे होगी है । उमदे हाट पका एक सफल गए के के फिनि्टक उक्त डेट
User Reviews
No Reviews | Add Yours...