स्वाधीनता संघर्ष में बुन्देलखण्ड उ. प्र. के क्रांतिकारियों का योगदान | Swadheenta Sangharsh Me Bundelkhand u.p. Ke Krantikariyon Ka Yogdan
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
79.2 MB
कुल पष्ठ :
382
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उसके बाद 1640 में शाहजहाँ की बीमार लड़की को अंग्रेज डाक्टर द्वारा ठीक कर देने पर गोरों को कलकत्ते में कोठी बनाने तथा बंगाल भर में चुंगी न लगने की सुविधा मिल गयी | उसके बाद औरंगजेब का शासन काल आया उसके समय में शिवाजी की शक्ति का विस्तार होने लगा जिस पर अंग्रेजों ने मुगल सम्राट को शिवाजी के विरुद्ध सहयोग का आश्वासन दिया। इससे खुश होकर औरंगजेब ने भी गोरों को कई नई रियायतें प्रदान की | अंग्रेज - व्यापारियों का चरित्र स्तरीय नहीं था किसी भी दूसरी कौम का माल से लदे जहाज को आनन - फानन पकड़ कर लूट लेना उनके लिए साधारण सा काम था। _ धीरे-धीरे गोरों की पकड़ केवल व्यापार में ही बढ़ती नहीं गयी अपितु द वे भारत में शासकीय शिकंजा कसने का ताना - बाना भी बुनने लगे। इसके रे प्रतिरिक्त अंग्रेज अत्याचार के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने लगे । उनका भारतीयों के प्रति व्यवहार बहुत ही घटिया स्तर का होता था। अंग्रेज बंगाल में अपने झगड़ालू स्वभाव के कारण सुर्खियों में आ गये। कुछ. दिनों में ही गोरे सौदागरों का भारतीयों के प्रति दमन चक्र तेज हो गया। भारतीयों के प्रति अंग्रेजों के जुल्म की चर्चाए एवं आवाजें मुगल सम्राट औरंगजेब. तक पहुँची। इस पर सम्राट द्वारा उनकी कोठियाँ जब्त कर ली गयी सूरत एवं अन्य शहरों से गोरो को निकाल दिया गया किन्तु गोरे बहुत चतुर थे। 1 गए 2. 1. सुन्दरलाल भारत में अंगरेजी राज नई दिल्ली सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय. भारत सरकार 1882 पृ० सं0 119 | रथ
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