लाम्बी नाक | Laambi Naak

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Laambi Naak by सूरज सिंह पंवार - Suraj Singh Panwar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सिरेकवर माधोरिट रतनकवर माधोसिह रतनकवर माघोसिह रतनकवर माधोसिह रतनकवर माधोरिह करणं लाग रिया टा) अक छोटी-सी वात कैयी के टावरा रो ध्यान राख्या कये। र आपनै अरज करू ह, टकम । मिन्दर मे नगारा अर छमछमा वाजता सुणीजे अर यै रे पगामे घूधरा वध जयै इनैविनै ताक्या अर ओकार वन्ना री पकडी आगढी अर बाजा वा जा समिाधोचिट आवे) आज भोरा भोर किसो रामायण पाठ सरू टुयग्यो मा सा ? तनै रामायण पाठ ई सूझे जोडायत नै अणूती माथे चढा राखी है। हजार बार समझा दी कै म्हारी सालू रै टीका-टमका करर घर सू वारे ना निकठ्ण दिया करो! जे काजठ-टीकी रो इत्तो ई सरौकहितोवयैरे गाला र काजठ लगा दिया करो ताकि म्हारी छोरी नै चाख नीं लागै पण ओ अमागणरी सुणे कुण? (सिरेकवर माय जावै हसर) पाच-पॉच वेदा री मा अर अभागण । फरू भागण केने केवैमासा? जिकी रो खसम जीवतो हयै । देखो हुकम आप दुधारी तलवार मत चलाया करो। क्यू ? म्हैं काई गलत कैय दियो ? आप दाता रै सरगवास टुवण सू पेला आ फरमाता कोनी हा कै सावरियो आ रे हाथा मे उठा लवै तो भले भरीज जाऊ। केवती ही पण सावरियो म्हारी सुणी कठे ? सावरिया आप री किसी-किसी बाते सुण मासा? आप सगे साग आ भी फरमाता के ज हूँ पला मरगी तो दाता रा सुधारा कुण करसी ? (सिरेकवर चाय लेय र आवै) अबे थे दोनू जणा मिलर मने जीतण थोडी ई देसो। लाम्बी नाक/13




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