रामली | Ramali

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Ramali by सूरज सिंह पंवार - Suraj Singh Panwar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सकडया लजा-र ढाढिया मराज रै आगे नाखदी ] थोडो मोड हया उख्या मरज तो कीं नी बल्या पण पार माथे बैठयों मायिया नास्या फुलार बोल्यो तू लकडया आसाम सू ले आयो है? फेर मागिये री दादी बरकी -- मराज थे आया कहे सू हो? ढाछिया मशज थोडा सकपकाया अर इनै-विनै देखता बोल्या “मा-सा! मैं चुढढा मराज रो बेटो हू। डोकरी फेर तडकती-सी बोली “बुढढा मराज रा बेटा हो यो तो चोखो पण थे औ फोग री लकडया क्यू मगाई है? थे मागिये रा हाथकाम लेवण आया हौ या म्हारी पोती री चवरी माडण आया हो? थे छोरै रै हाथकाम मं होम कद पछे करण लागग्यां? बताओ से फोग री लकंउया क्यू मगवाई है? ढाछिया मराज चमगूगा-सा म्हारे सामी देखता बोल्या ओ भाया ईनै आ तो? तननैं लकडया लावण रो कुण कैयो हो? महैँ अवे कैर नाम लेऊ | ब्याव रै घर मे समछा बडेरा पोल खुलता देखर मागिये री बैन म्हारै कानी थोडी-सी मुर्क'र पगोथिया चढगी। मागियै रा हाथकाम लेवणा सरु हुया{ मराजं मतर पठै लुगाया बिनायक गायै अर वाखल् मे बैठी ढोलण्या कोझी सरे अरडावै। समझ में नीं आवै के सुणा कीर्मैः मागियै री काकया-भाजाया हठ्दी अर पीठी कर-करर काकेकूट मामियँ मैं पीछोपट कर नाख्यो । मागियो मन-मन में सोचे कै आं पीठो रम वीरो रोजीना खातर हुय जावै तो किसोकः? दिनूभै हेमलो मागिये री पीठी करण आयम्य } मागियै अकर तो थोडी कायस कराई फेर पोलो हुयर बैठग्यो | देस दिना ताईं दिनूमै-सिञ्चया मागिया सगा-सया मे वनोत्य जीमतो मूढै सू. नख इस्या करे जाणै कँ आगोतर म खोटा करथोडा री सजा काट हैयो है। बाईस तारीख मैं मागिये री जान रवाना हुयगी। मागियों बाप रो अेकछों छोरो। ई खातर मागिय रा बाप व्याव मे खुल'र खरचो करयो ! जान मे घोड़ा सज्योडा ऊट ढोल पीटता विर्तआत्ा ढोली जान रै आगै पुलिस रो बेड-बाजों। इया ता लोगडा पुलिस रा खाकी कपड़ा दंख'र ई अक्रा भाजै पण आज तो मार फएरमाइसा माथे फरमाइसा 1 यीद स धाड़ी आगै टीगर नाच-नाधर टैम खराब करे मागियों मृढे माथे रूमाल लगायोडो टुगर-दुगर देखे पण टीमस मैं अलगा खिसफण श्रमी 13




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