स्वाध्य माला | Swadhya Mala

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Swadhya Mala by रतन मुनि -Ratan Muni

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रतन मुनि -Ratan Muni

Add Infomation AboutRatan Muni

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्रज्मयण ४ दसवेग्रालिययुत्त ११ ्रजयं श्रारमाणो उ, पारणमूया इंहिसइ। बन्घडइ पावयं कम्मं, तसे हह कड्यं फलं \\३\1 ्रजयं सयमारणे उ, पाणमभूयाइं हिसइ । बन्धइ पावयं कम्म, तं से होइ कंड़यं फलं 1)४1 श्रजयं युञ्धमाणमे उ, पाणभूयाईं हिसइ। चन्वड पावथं कम्मं, तं से होड कड़यं फलं ।\५\ श्रजयं भासमाणो उ, पाणमभूयाईं हिसड । बन्धड पावयं कम्मं, तंसे होड कड्यं फलं ।\६।) कहं चरे ? कहं चिदं ? कहमासे ? कहं सए ? कहं भु जतो मासंतो, पएावं कस्मं न बन्धड्‌ ? ।\७।! जयं चरे, जयं चिदु, जयमासे, जयं सए ! जयं भुज्ञन्तो भासन्तो, पावं कम्मं न बन्ध्‌ ।॥८॥। सव्वसुयप्पसूयस्स, सस्मं मूयाई पासश्रो । पिहियासवस्स दन्तस्स; पाव॑ कस्सं न बच्घइ ॥€॥। पढम॑ नाणं॑ तथ्नों दया, एवं चिट्ठइ सब्वसंजए । अन्नाणी कि काही कि, वा नाहिइ' छेयपावगं' ॥ १०१ सोच्चा जाणइ कल्‍्लाणं, सोच्चा जाणइ पावगं । उभये पि जाणइ सोच्चा, जं देयं तं समायरे ।\१९।। जो जीवे वि न याणाइ, अजीवे वि न याराइ । जीवाजीवे श्रयाणन्तो, कहूं सो नाहोइ संजसं ॥१२॥ जो जीवे दि वियाणेइ, श्रजीवे वि वियाणइ । जीवाजीवे वियाणन्तो, सो हु नाहीइ संजसं ॥१३॥ जया जोवसजीवे य, दो वि एए वियाणडई | तया गदं बहुविहं, सव्नजीवाण जाणइ ॥१४॥। १. नाही \ २. सेय ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now