स्वाध्य माला | Swadhya Mala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
388
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रज्मयण ४ दसवेग्रालिययुत्त ११
्रजयं श्रारमाणो उ, पारणमूया इंहिसइ।
बन्घडइ पावयं कम्मं, तसे हह कड्यं फलं \\३\1
्रजयं सयमारणे उ, पाणमभूयाइं हिसइ ।
बन्धइ पावयं कम्म, तं से होइ कंड़यं फलं 1)४1
श्रजयं युञ्धमाणमे उ, पाणभूयाईं हिसइ।
चन्वड पावथं कम्मं, तं से होड कड़यं फलं ।\५\
श्रजयं भासमाणो उ, पाणमभूयाईं हिसड ।
बन्धड पावयं कम्मं, तंसे होड कड्यं फलं ।\६।)
कहं चरे ? कहं चिदं ? कहमासे ? कहं सए ?
कहं भु जतो मासंतो, पएावं कस्मं न बन्धड् ? ।\७।!
जयं चरे, जयं चिदु, जयमासे, जयं सए !
जयं भुज्ञन्तो भासन्तो, पावं कम्मं न बन्ध् ।॥८॥।
सव्वसुयप्पसूयस्स, सस्मं मूयाई पासश्रो ।
पिहियासवस्स दन्तस्स; पाव॑ कस्सं न बच्घइ ॥€॥।
पढम॑ नाणं॑ तथ्नों दया, एवं चिट्ठइ सब्वसंजए ।
अन्नाणी कि काही कि, वा नाहिइ' छेयपावगं' ॥ १०१
सोच्चा जाणइ कल््लाणं, सोच्चा जाणइ पावगं ।
उभये पि जाणइ सोच्चा, जं देयं तं समायरे ।\१९।।
जो जीवे वि न याणाइ, अजीवे वि न याराइ ।
जीवाजीवे श्रयाणन्तो, कहूं सो नाहोइ संजसं ॥१२॥
जो जीवे दि वियाणेइ, श्रजीवे वि वियाणइ ।
जीवाजीवे वियाणन्तो, सो हु नाहीइ संजसं ॥१३॥
जया जोवसजीवे य, दो वि एए वियाणडई |
तया गदं बहुविहं, सव्नजीवाण जाणइ ॥१४॥।
१. नाही \ २. सेय ।
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