नागरीप्रचारिणी पत्रिका | Nagaripracharini Patrika
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
762
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्री काशीप्रसाद जायसवाल, एम० ए०, विद्यामहोदधि
( उश ) तत सविज्ञा राजा अनरणे मदावल ।
( ७६ ) सोपि वर्पन्रय झुफूत्वा पश्चानिवनमेष्यति |
( ७७ ) तता विकुयशा कशिचदुन्नाहझ्मणों लोकविश्ुत ।
(७८ ) तस्यापि न्नीणि वर्पाणि राज्य दुष्ट भविष्यति ।
[$१२ पुप्पपुर और राजा अभिमित्र)
( उस ) तत पुष्पपुर () स्या [त्] तथैव जनसङुल ।
(८० ) भविष्यति वीर (र-) सिद्धा्थ(यै-) प्रसवेस्सवसङल ।
(८९ ) पुरस्य दच्तिण पाश्वे वादन तस्य दभ्यते ।
(८९ ) हयानां दरं सहसे ठु गजवादस्तु (क)स्पतः ।
८८३ ) तदा भद्रे देशे श्चभ्मिमित्रक्तत्र कीलके ।
(८४ ) तस्न्ुसपरध्यते कन्या तु मदारूपशालिनी ।
(८५ ) तस्या (पर स दषो घोर चिप्र बाह्मणी मह ।
(८६ ) तत्र विष्णुवशादेद्द विमो[चंय लि न सशय ।
(८७ ) तस्मिन्युद्धे महाघोरे व्यतिक्रान्ते सुदारुणे ।
( ८ ) श्र [7]भनिवैश्यस्तदा राजा भविष्यति महाप्रसु ।
( ८& ) तस्यापि विशद्र्पाणि राज्य स्फोत भविष्यति ।
(«० ) [धा ]्निवैश्यस्तदा राजा प्राप्य राज्य महेन्द्रवत् ।
( €? ) भीमे शरर(शषर?)-सघातैर्विम्रह सयुपेप्यति ।
(७ >) घपिला (क) “सवि (ग) स पिपुले (ख) श्रनरण्यो (ख)
(७६ ) पुष्यपुरस्यात (क ), °्स्या (ख)
(८० >) भविप्यति वीर॒ सिद्धा्म (क) भवेद्वीर मिद्वाधं (ख)
(८२ >) कय्पत पुस्तञ्च में ।
(८३) (ग) मदरपारः 'श््रन्निमिन्रः (ग), श्यापेमित्र (क)
ध्रामेमित्र (ख)
(८६ ) घोर निन्म (ग)
(= > तश्च पि--वसाद्रेः (क) विमोषति(क), (स)
(प ) स्फी (क)
( ६० ) ्राप्ेवेश्य ०८ क ) मधद्रवत् (क)
(६१ >) भीरौ एररयष्यतं (क)
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