सूरसागर में प्रतीक योजना | Soorasagar Men Prateek Yojana
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
201
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ० वी० लक्ष्मय्या शेट्ठी - Dr. V. Lakshmayya Shetthi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सुरमागर में प्रतीक योजना
अभिन्त श्रंगयथा। नैकिन मुमलमान-नामन-कालमे गरव पीना एक ग्रादत वन
गयी थी । उस समय गुलाम रखने की प्रश्ना भी प्रचलित थी । हिन्डुग्ो में
सत्ती-प्रथा थी ।
4 स्त्रियों की दना : हिन्दू श्रपनी स्त्रियों का श्रादर करते थे । फिर भी
कन्या के जन्म होने पर प्रसन्नता प्रकट नहीं की जाती थी । मुसलमानों की कुदृपष्टि
से बचने के लिए हिन्टू-स्त्रिया पर्दे का श्राश्रय लेसे लगी ।
5 समाज पर शासक-घर्म का प्रभाव : नासक-घर्म के अत्याचारों से वचने
केलिए हिन्दुद्नो मे जाति सबधी नियम जटिल वनाये गये : श्राचार-विचार के नये
नियम बने : पर्दा-प्रधा श्रौर वाल-विवाह का प्रचलन हुआ । कुछ हिन्दुग्रो ने इस्लाम
घमं स्वीकार कर लिया । वे श्रपने साथ श्रपने पुर्वेजो के विचारो तथा रीति-रिवाजो
को भी लेते गए । मुसलमानों की फकीरो, पीरो तथा मकवरो की पूजा म हिन्दुग्नो
की देव-पूजा का प्रभाव म्पष्ट दिखाई पड़ता है । श्रतएव “इस वात में मदेह नहीं रह
जाता कि इस्लाम ने हिन्दुत्व पर जितना प्रभाव डाला उससे कही अधिक परिवर्तन
हिन्दुद्नो ने टस्लाम मे कर दिया ह 1
(ई) ्रार्थिक परिस्थितियां
गेरनाह तथा अकबर के समय किसानों की दा पर्याप्त अच्छी थी । राज-
कोप घन से भर गया था । व्यापार एयिया के पूर्वी, पर्चिमी तथा मध्य के देवों से
होता था श्रौर उसके द्वारा देव मे श्रपार स्वर्ण-भडार एकत्र हो गया था ।
तत्कालीन परिस्थितियों का साहित्य पर प्रभाव
मुसलमानों के भ्रागमन से घामिक ग्रीर सामाजिक क्षेत्र में अस्थिरता उत्पन्न
हुई, जनता के हृदय में राजन॑तिक क्षेत्र से मन्यास, भाग्यवाद, कर्मवाद भ्रादि भाव-
नाये जड जमा चुकी थी । इन परिस्थितियों मे दक्षिण काभक्ति-्रदिलन उत्तर भारत
मे भी फलने लगा ग्रीर भक्ति-साहित्य इन्हीं परिस्थितियों की देन है ।
लोक-कल्याण की कामना वाले सन्त महात्माग्रो ने पराजित हिन्द्र जाति को
नतिक पतन श्रीर् वार्मिक पराभव से वचाने के लिए उनके हृदय में भक्ति-भावना का
वौज वोना श्रारम्भ क्रिया । उन्होने लोगो को ईव्वर की सर्वगुण सम्पन्नस्पकी
उपासना की श्रोर उन्मुख किया ।
1 सैनिक, दीपावली जक, यद्टूवर 1952 ई०, भारतीय ममाज पर मध्यकालीन तुर्की
शासन का प्रभाव नामके निवन्ध ।
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