तीन अपाहिज | Teen Apahij

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Teen Apahij by विपिन अग्रवाल - Vipin Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उ्लू गद्ल क्स्लू गल्लू तीन झंपाहिज १७ तो मेरी माँ धरती है घरतो+--माँ तो होती हैं । दोनो सफ़ाई के लिए कल्लू वो ओर देखते है । हाँ घरती मा तो होती हूँ । फिर कह याली नहीं हुई । नही हुई ठो गल्लू भी कह है 1 रू हाँ। तुम भी कद हो 1 सके लिए तयार न था पर और कोई चारा न देख कर हाँ हुप सभी कद्दू है । कई एकता का भावना को जाता हूँ । हर गालो यही करती है । पर कट गालो नट्टी हु 1 जब एकता को जगाती हु तो हु । तू बया जगातो हू ? एवता खत्लू न समभने का मिर दिलाता है 1 रू जरा साँस कर यानी हम सब एक ह 1 तू उंगली उठा कर बैठे लोगो को गिनने लगता हु एक दो ग्रे खरलू खल्तु का थिनना थीच ही में रुक॑ जाता हु गिनती में एक नी भावना में 1 भावना में ? बल्लू सुम फिर 1 इसमें बया मुशक्लि ह । समझते कुछ हो नहीं जा की रही भावना जमी. 1 अपनी राष्ट्रमापा वा शब्द है । किसका ह अपने देश को भाषा का हाथ हिन कर खस्तू से तग न बरने का इशारा करता हू मम्भीर हो कर अरलू से अच्छा बल्लू




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